जन्म के दस दिन में मर गयी सड़क, ग्रामीणों ने की रसोई, चुनाव में करेंगे गंगाजली पूजन

Post by: Rohit Nage

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मदन शर्मा नर्मदापुरम। जिले के पिपरिया (Pipariya) में विरोध का अनूठा अंदाज…देखने को मिला है। जहां सड़क की रसोई ग्रामीणों द्वारा की गई है। अब विधानसभा चुनाव (Assembly Election) में इस सड़क की गंगाजली पूजन करने का ग्रामीणों ने फैसला लिया है।

दरअसल तहसील क्षेत्र अंतर्गत आने वाले ग्राम तरौन (Village Taron) एवं खैरी (Khairi) के बीच बनी नई नवेली सड़क पूरा एक माह भी नहीं टिक पाई और बारिश के चंद बूंदो नें इस सड़क के घटिया निर्माण को पोल खोल दी। कुछ समय पूर्व ही पीडब्ल्यूडी (PWD) द्वारा सड़क का निर्माण किया था। बारिश होने से सड़क पर गड्ढे ही गड्ढे हो गए हैं जिससे आवागमन में खासी दिक्क़त आ रही है। यह सड़क और ग्रामीणों के प्रदर्शन का अनूठा अंदाज सोशल मीडिया (Social Media) पर काफी चर्चा का केंद्र बना हुआ है। ग्रामवासियों ने बाकायदा इस सड़क के रसोई के कार्ड छपवाकर इसकी रसोई भी कर डाली। ग्रामीणों देह त्याग चुकी सड़क के किनारे लोगों को भोजन भी करवाकर इसकी रसोई कर दीं और विभाग के अधिकारियों सहित नेताओं को जमकर कोसा। जो भी काफ़ी वायरल हुआ।

ग्रामवासियों का कहना है की सड़क बनने के पूर्व आवागमन काफी सहज था, मगर अब तो काफी परेशानी आ रहीं है। पीडब्ल्यूडी की लापरवाही की शिकायत कलेक्टर (Collector) से भी की गई है। वहीं ग्रामवासियों ने नाराजी जताते हुए भाजपा के खिलाफ मोर्चा भी खोल दिया है जिसमें सड़क मजबूत नहीं तो हमारे ग्राम के बूथ भी मजबूत नहीं का नारा दिया गया है। यह मार्ग तारोन खैरीकला से लगे ग्राम जैसे सोनपुर, नयाधार, नांदकोट, हथनी खापा, मोहरी खुर्द, धारगांव, आंजन ढाना, संगाई पूटान ग्रामों से जुड़ा हुआ है। कांग्रेसी भी इस मुद्दे को लेकर काफी सतर्क हो गए हैं और सोशल मीडिया पर तर्क वितर्क कर आगामी चुनाव के पहले मुद्दा बना लिया है। खैर छोडिय़े नई सड़क का बनना और कुछ ही दिन में दम तोड़ देना कोई नई बात नहीं है, लेकिन ऐसा अनूठा प्रदर्शन पहली बार देखने को मिल रहा है…..

अब देखना है की जिला प्रशासन और सरकार के नुमाइंदे क्या एक्शन लेते हैं! हालांकि ग्रामीण रंजीत ठाकुर का कहना है कि हमने उच्च अधिकारियों से इस सड़क की शिकायत भी की है। जल्द निराकरण किया जाएगा। उनका कहना है सड़क का निर्माण 20 लाख रुपये की लागत से हुआ है। जिसकी लंबाई करीब 3 किलोमीटर है। आंदोलन करने वाले ग्रामीणों ने यह भी मांग की है कि उपरोक्त गांवों के मध्य एक हाई स्कूल का निर्माण भी कराया जाए।

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