जहाज महल, मांडू पर्यटन स्थल विश्व में क्यों हैं प्रसिद्ध, जहाज महल मांडू जाये तो यहॉ जरूर घूमे सम्पूर्ण जानकरी……….
जहाज महल, मांडू : इतिहास
आज हम मध्यप्रदेश के धार जिले के माण्डव क्षेत्र में स्थित जहाज महल, मांडू के बारे में बात कर रहें हैं ऐसे तो मध्यप्रदेश में अनेक पर्यटन स्थल है जो कि अलग अलग कारणों से पर्यटनों को अपनी ओर आकर्षित करते है इन्ही पर्यटन स्थलो में से एक पर्यटन स्थल है जहाज महल, मांडू को बारिश के मौसम में देखना का एक अलग की सुकून प्रदान करता हैं।
इस मौसम में इसकी प्राकृतिक सौन्दर्यता देखते ही बनती है मांडू में अनेक पर्यटन स्थल है पर उनमे से एक है जहाज महल जो कि मध्य प्रदेश या भारत में ही नही विश्व भर में अपनी सुन्दरता और बनावट के लिए प्रसिद्ध है। आपको हम मांडू में स्थित पर्यटन स्थल की सम्पूर्ण जानकारी आपको देतें हैं।
मांडू महल यह मध्यप्रदेश के धार जिले से 35 किमी दूर माण्डव क्षेत्र में स्थित है। जहाज महल, मांडू का निर्माण राजा बाज बहादुर ने 16 वीं शताब्दी में अपनी रानी रूपमती की याद में कराया था। माण्डव शहर अपने प्रसिद्ध किलों के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध है।
मांडू का इतिहास लगभग 10 वीं शताब्दी से माना जाता है जब राजा भोज ने मांडू को एक किले के रूप में स्थापित किया था।
राजा भोज के अनुसार मांडू सबसे सुरक्षित स्थान माना जाता था। सन् 1304 में राजा भोज को हराकर दिल्ली के मुस्लिम शासकों ने मांडू पर जीत हासिल कर ली थी। इसके बाद 13 वीं शताब्दी में मांडू शहर का नाम मालवा के सुल्तानों द्वारा खुशियों का शहर रखा गया था।
सन् 1526 में गुजरात के बहादुर शाह ने मांडू के किले जहाज महल पर अपना अधिकार जमा लिया था। मांडू पर कई राजाओं ने राज्य किया परन्तु बाज बहादुर एक मात्र स्वतंत्र शासक बने जिन्होंने मांडू पर सबसे ज्यादा समय तक अपना अधिकार जमाए रखा।
जहाज महल, मांडू की संरचना
जहाज महल में अन्दर जाने के लिए 12 दरवाजे है जोकि 45 किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैले हुए है। उनमे से जो मुख्य दरवाजा है। उस दरवाजे को दिल्ली दरवाजा के नाम से जाना जाता है और अन्य दरवाजे रामगोपाल दरवाजा, जहांगीर दरवाजा और तारापुर दरवाजे कहलातें है। ऐसा कहा जाता है यहाँ आते ही हाथियों की गति धीमी हो जाती थी। क्योंकि दरवाजे घुमावदार मोड़ पर स्थित है
जहाज महल की संरचना तालाब में तैरते हुए जहाज की तरह प्रतीत होता हैं। जहाजनुमा 100 मीटर लम्बी संरचना को दूर से देखने पर यह पानी में खड़े हुए एक विराट (विशाल) जहाज के सामान दिखाई देता है।
जहाज महल को शिप पैलेस के नाम से भी जाना जाता है। इसकी अद्भुत संरचना के कारण जहाज महल, मांडू के प्रसिद्ध दर्शनीय स्थलों में से एक है जहां हर साल हजारों की सख्ंया में पर्यटन घूमने आते है। यह महल सुबह 6 बजे से शाम के 7 बजे तक पर्यटकों के लिए खुला रहता है।
जहाज महल, मांडू में घूमने के लिये प्रवेश शुल्क (Entry fee to visit Mandu Mahal)
- भारतीय पर्यटकों के लिए लगभग 5 रूपये प्रति व्यक्ति।
- विदेशी पर्यटकों के लिए लगभग 100 रूपये प्रति व्यक्ति।
- विडियो कैमरा ले जाने वाले पर्यटकों के लिए लगभग 25 रूपये प्रति व्यक्ति हैं।
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जहाज महल, मांडू : घूमने जाने का सबसे अच्छा समय (Best time to visit Mandu Mahal)
अगर आप जहाज महल, मांडू घूमने जाने का सही समय जानना चाहते है तो हम आपको बता दे कि जहाज महल, मांडू घूमने जाने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च महीने के बीच का माना जाता है। क्योंकि इस समय के दौरान मौसम सुखद और अनुकूल रहता हैं जिसमे आप मांडू की यात्रा आसानी से सुखद माहौल में कर सकते है ।
जहाज महल, मांडू पहुँचने के मार्ग
हवाई यात्रा (Air travel)
मांडू का सबसे निकटतम हवाई अड्डा देवी अहिल्या बाई होल्कर हवाई अड्डा है जो कि इंदौर शहर में स्थित है। मांडू से देवी अहिल्या बाई होल्कर हवाई अड्डे से लगभग 96 किलोमीटर दूरी पर हैं।
ट्रेन यात्रा (Train Travel)
मांडू का अपना कोई रेलवे स्टेशन नही है। परन्तु मांडू के सबसे नजदीक रेलवे स्टेशन रतलाम है जोकि मांडू से लगभग 130 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। रतलाम से आप किसी बस या टैक्सी के माध्यम से मांडू आसानी से पहुँच सकते है।
सड़क मार्ग (By Road)
मांडू से राष्ट्रीय राजमार्ग और राज्य राजमार्ग दोनों ही अच्छी तरह जुड़े हुए है। इस शहर से भारत के महत्वपूर्ण शहरों के लिए बसें आसानी से मिल जाती है। मांडू, धार और इंदौर जुडा हुआ है। मांडू से इंदौर व धार के लिए नियमित रूप से बसें चलती रहती है। कार को भी इंदौर और धार से किराए पर ले जाया जा सकता है।
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रानी रूपमती का मंडप (Rani Roopmati Pavilion)
रानी रूपमती का मंडप, मांडू का सबसे ज्यादा आकर्षित करने वाला किला है। रानी रूपमती और मांडू के राजा बाज बहादुर की प्रेम कहानी के लिए इस महल को जाना जाता हैं। प्राचीन इतिहासकारों बताते हैं कि रानी रूपमती बहुत ही खूबसूरत थी और एक हिन्दू गायिका भी थी। रानी रूपमती से मोहित होकर बाज बहादुर ने उनसे विवाह कर लिया था।
माना जाता हैं कि रानी रूपमती को नर्मदा नदी के दर्शन किए पानी का एक घूंट भी नही पीती थी। यही प्रमुख कारण था जिसकी वजह बाज बहादुर ने नर्मदा नदी के तट पर इस महल का निर्माण करवाया जहां से रानी नर्मदा नदी के दर्शन कर सके। रानी रूपमती महल बलुआ पत्थर से बने मंडप की सुन्दर संरचना हैं।
रीवा कुण्ड (Riva Kund)
रीवा कुण्ड मांडू का वह कुण्ड है जो पर्यटकों को आश्चर्य में डाल सकता है। राजा बाज बहादुर द्वारा बनवाया रीवा कुण्ड रानी रूपमती महल के नीचे स्थित है। रीवा कुण्ड से ही रानी रूपमती मंडप महल में जल की पूर्ती होती थी।
हिंडोला महल (Hindola Mahal)
हिंडोला महल का निर्माण होशंगशाह के शासन के समय शुरू हुआ था और गियास-अल-उद-दीन के शासन काल में समाप्त हुआ था। हिंडोला महल, मांडू का बहुत ही आकर्षक और लोकप्रिय पर्यटन स्थल है जिसका निर्माण बलुआ पत्थरों से किया गया था।
हिंडोला महल की टेढ़ी दीवारों के कारण इस महल को हिंडोला महल या झूला महल कहा जाता है। महल के चारों और बहुत ही सुन्दर आकृतियाँ बनी हुई है।
बाज बहादुर महल (Bajbahadur Mahal)
बाज बहादुर महल का निर्माण राजा बाज बहादुर द्वारा 16वीं शताब्दी में कराया गया था। बाज बहादुर महल, मांडू के सबसे आकर्षक और दर्शनीय स्थानों में से एक है। बाज बहादुर महल ऊँचे छतों और बड़े-बड़े हॉल के साथ अपने सुन्दर आंगनों के लिए बहुत प्रसिद्ध है।
बाज बहादुर महल रानी रूपमती महल के नीचे स्थित है जिसे रानी रूपमती के मंडप से आसानी से देखा जा सकता है। मांडू के अंतिम स्वतंत्र नेता बाज बहादुर के इस महल में इस्लामिक शैली देखने को नही मिलती बल्कि यह राजस्थानी शैली में डिजाईन किया गया महल है।
अशर्फी महल (Asharfi Mahal)
अशर्फी महल, मांडू के उन लोकप्रिय स्थानों में से एक है जिसे महमूद शाह खिलजी द्वारा बनाया गया था। अशर्फी महल शिक्षा को बढ़ाबा देने के उद्देश्य से बनाया गया था। ताकि मांडू की जनता में शिक्षा का प्रचार-प्रसार हो सके। इस महल की वास्तुकला देखने लायक थी।
लेकिन अब यह महल पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया है। खंडहरों के रूप में दिखने वाला यह महल आज भी लोकप्रिय स्थानों में गिना जाता है।
श्री चतुर्भुज राम मंदिर (Sri Chaturbhuj Ram Mandir)
श्री चतुर्भुज राम मंदिर, मांडू में स्थित है जो कि दुनिया का एक मात्र ऐसा मंदिर है जिसमे राम भगवान की चार भुजाओं वाली प्रतिमा स्थापित है। यही कारण है कि यह दुनिया के सबसे ज्यादा देखे जाने वाले स्थानों में शामिल है। श्री चतुर्भुज राम मंदिर का निर्माण मधुकर शाह ने 17वी शताब्दी में करवाया था।
होशंगशाह का मकबरा (Hoshang Shah’s Tomb)
होशंगशाह का मकबरा, मांडू का बहुत ही आकर्षक स्थान है। जहां प्रसिद्ध सुल्तान होशंगशाह की समाधि है। इसी मकबरे से प्रेरित होकर शाहजहाँ ने ताजमहल का निर्माण करवाया था। होशंगशाह मकबरा संगमरमर से बना हुआ है। इसमें कब्र के सबसे ऊपर आधे चन्द्रमा के मुकुट के समान संरचना है जोकि अफगानी शैली में बनी हुई है।
जामा मस्जिद (Jama Masjid)
जामा मस्जिद का निर्माण होशंगशाह गौरी द्वारा शुरू किया गया था जो कि मांडू का प्रथम इस्लामिक सुलतान था। परन्तु इस मस्जिद के निर्माण कार्य को पूरा करने का श्रेय मोहम्मद खिलजी को जाता हैं। जामा मस्जिद को होशंगशाह गौरी के मकबरे के नाम से भी जाना जाता है।
खूबसूरत लाल पत्थरों से बनी यह मस्जिद आज भी मांडू के आकर्षण का केंद्र बनी हुई है जो बहुत ही सुन्दर दिखाई देता हैं।
जैन मंदिर (Jain Mandir)
जैन मंदिर, मांडू के प्राचीन जैन तीर्थ स्थलों मे गिना जाने वाला आकर्षक पर्यटन स्थल है। जैन मंदिर में प्रसिद्ध जैन तीर्थकरों की सोने, चांदी और संगमरमर की मूर्तियाँ स्थापित है। जैन मंदिर में एक ऐतिहासिक संग्रहालय भी स्थित है। जिसका नाम थीम पार्क ऐस्क जैन संग्रहालय है। जैन मंदिर पहाड़ों के ऊपर स्थित होने के कारण पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है।