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अपनी समृद्ध परंपरा की ओर लौट रहे हैं आदिवासी

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इटारसी। आज के युग में जहां लोग अपनी परंपराओं से हट रहे हैं, रीति-रिवाज भूलकर पाश्चात्य संस्कृति को अपना रहे हैं, चकाचौंध की तरफ दौड़ लगा रहे, आदिवासी (Adivasi) अपनी समृद्ध परंपराओं को न सिर्फ बचाकर रखे हैं, बल्कि जो लोग इससे दूर हुए थे, वे भी वापस लौट रहे हैं।

आदिवासी परंपरा का एक बेहतर उदाहरण ग्राम रैसलपाठा (Village Raisalpatha), सुखतवा (Sukhtawa) में पेश किया गया। यहां आदिवासी संस्कृति, रीति रिवाज से एक अनोखा विवाह देखने को मिला। विवाह में बारात बैलगाड़ी से गयी, जैसे पूर्व में होता था। उसे बहुत ही सुंदर तरीके से बांस से सजाया जाता था और बैल को साज-बाज मोर के मुरंगा से फूल बनाकर लगाया जाता है। ऐसी एक बारात ग्राम रैसलपाटा सुखतवा में देखने को मिली, जिसमें दूल्हा बैलगाड़ी में सवार होकर बारात लगाने पहुंचा। यह बारात ग्राम भूड़की पाडर घोड़ाडोंगरी (Village Bhudki Padar Ghoradongri) से आई हुई थी, इसमें आदिवासी ग्रुप डांस चांदकिया ने भी पारंपरिक प्रस्तुति दी।

जहां जगह-जगह पर डांस करते हुए पहुंचे। आदिवासी समाज के मीडिया प्रभारी विनोद वारिवा ( Vinod Variva) ने बताया कि पूर्व में आदिवासी संस्कृति को निभाने के लिए कई वर्ष पूर्व होने वाली परंपरा को निभा रहे हैं। क्षेत्र के लोग भी इस बारात को देखने पहुंचे और इस परंपरा को देख प्रफुल्लित भी हुए। बेहद सादगीभरी इस परंपरा और जड़ों की ओर लौटने की यह पहल आदिवासियों को अपनी परंपरा की ओर लौटने के लिए प्रेरित करेगी, बल्कि आज की खर्चीली शादियों से बचने के लिए एक मिसाल के तौर पर जानी जाएगी।

Rohit Nage

Rohit Nage has 30 years' experience in the field of journalism. He has vast experience of writing articles, news story, sports news, political news.

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