सोहागपुर। करनपुर में अनंत श्री विभूषित पश्चिमाम्नाय द्वारका शारदा पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी सदानन्द सरस्वती के सान्निध्य एवं आचार्य सोमेश परसाई के आचार्यत्व में आयोजित श्री सवा करोड़ शिवलिंग निर्माण के द्वितीय दिन आचार्य सोमेश परसाई ने शिव भक्तों को संबोधित करते हुए कहा कि भक्ति वह है, जो भक्त को सरल सहज बनाये।
आचार्य ने कहा कि भगवान के भक्त यदि अभिमानी हो जाये तो भगवान स्वयं उनका अभिमान समाप्त करते हैं। भक्ति भक्त भगवान और गुरु को एक ही रूप मानना चाहिए इनमें कोई भेद नहीं है।
उन्होंने कहा कि किसी भी कार्यक्रम को सफल बनाने तीन चीजों की आवश्यकता होती है, पहला सत्य संकल्प, सत्य संकल्प को पूरा करने सन्निष्ठ प्रयास और तीसरा और सबसे महत्वपूर्ण है भगवत्कृपा। यदि आपने सत्य संकल्प भी कर लिया, सन्निष्ठ प्रयास भी कर लिए किन्तु यदि भगवत्कृपा न आये तो भी कार्य सिद्ध नहीं होता।
आचार्य ने कहा कि बुद्धि को सदैव व्यवसायिक की जगह व्यवहारिक बनाने का प्रयास करें। आचार्य श्री ने कहा कि शब्द ही ब्रह्म है, इसलिए वाणी का सोच समझ कर उपयोग करें। विश्व में केवल भारत ही है जहां देश, गौ, नदी को माता का दर्जा दिया जाता है। हमारे यहां तो प्राणी मात्र को ब्रह्म का अंश मान कर दया करना सिखाया जाता है।
प्रारंभ में प्रात: पंकज पाठक व घनश्याम शर्मा के निर्देशन में मुख्य यजमान हरगोविंद पुरविया ने मंडल पूजन गौ गणेश गौरी पूजन कर शिवभक्तों ने भक्ति भाव से रुद्री निर्माण किया। कार्यक्रम में सुधा विजयपाल राजपूत, एसएस पटेल, गोलू राय, संतोष मालवीय, अशोक पटेल, राजो मालवीय, निरंजन चौधरी, धर्मेंद्र तिवारी, रामनरेंद्र जायसवाल सहित भारी संख्या में शिवभक्त सम्मिलित हुए।