ये हमारे हीरो…ताउम्र लोगों के जेहन में रहेंगे सेवा के ये लम्हें

Post by: Poonam Soni

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इटारसी। कोरोना काल में सैकड़ों हाथों ने हजारों की मदद की, सेवा की मिसाल बने हमारे कोरोना योद्धा। आज भी वे मानवता की मिसाल बने हुए हैं। ऐसे कई कोरोना योद्धा हैं जो पर्दे के पीछे रहकर बिना किसी प्रशंसा की चाह में लगतार बिना थके मदद कर रहे हैं। हम ऐसे ही कोरोना योद्धाओं की कहानी को ये हमारे हीरो शीर्षक से अपने पाठकों के सामने लाने का एक प्रयास कर रहे हैं। श्रंखला लंबी चल सकती है, क्योंकि ऐसे ईश्वर के दूतों की संख्या अधिक हो सकती है। जो सामने आते जाएंगे, हम उनको लोगों के सामने लाते जाएंगे। हमारी शुरुआत है, हॉकी खिलाड़ी, कोच, युवा व्यापारी और इससे भी कहीं आगे जाकर पीडि़त मानवता की सेवा में दिनरात एक करने वाले कन्हैया गुरयानी से। वर्ष-2020-21 की खट्टी-मीठी यादें हमारी पीढ़ी के लोगों के जेहन में ताउम्र रहेंगी। इन दो साल में हम कोरोना महामारी से सभी परेशान रहे हैं। ये हम भारतीयों का जज्बा ही है कि हम कभी-भी मुश्किलों से हार नहीं मानते हैं, हमारा कोई साथी हारने की कगार पर होता है तो उसे अपने हाथ देकर उबार भी लेते हैं। ऐसे ही दुलार से कोरोना पीडि़त परिवार की न सिर्फ मदद करना बल्कि उनके घर जाकर उनका मनोबल बढ़ा रहे हैं, कन्हैया गुरयानी जो स्नेहवश सोनू नाम से पुकारे जाते हैं। एक सोनू सूद हैं, जो देशवासियों की मदद कर रहे हैं दूसरे हमारे सोनू हैं, जो अपनी पूरी क्षमता से मददगार बने हैं। उनकी यह सेवा अपने आप में एक सेवा की मिसाल रही है।

कन्हैया गुरयानी के पास सारा दिन और देर रात तक लगातार फोन घनघनाते हैं, किसी को अपने परिजन को भोपाल ले जाने के लिए एम्बुलेंस की जरूरत होती है, किसी को भोपाल के अस्पताल में बेड की। ऐसे कई मरीज होते हैं जो आर्थिक रूप से कमजोर होते हैं तो उनको कम से कम में एम्बुलेंस की व्यवस्था करना, भोपाल में अस्पतालों में अपने मित्रों के माध्यम से बेड, ऑक्सीजन, वेंटीलेटर आदि की जानकारी एकत्र करने मरीज के परिजनों को देना। और जो लोग पैनिक हो रहे हैं, उनके तो घर जाकर भी उनको संबल प्रदान करने में सोनू पीछे नहीं हैं। कोरोना से घबराये परिवार एक बार सोनू से मिलकर उनकी बातें सुनकर अपने डर को पीछे छोड़ देते हैं। ऐसे कोरोना योद्धा, का जज्बा तारीफ के काबिल है।

लायसेंस रद्द होना चाहिए
पिछले एक वर्ष से कन्हैया गुरयानी और उनके मित्र शासन और प्रशासन को शिकायत कर रहे हैं कि प्रायवेट या सरकारी, कोई भी एम्बुलेंस वाले कोविड पेशेंट को होशंगाबाद या भोपाल नहीं ले जा रहे हैं। वे होशंगाबाद और अन्य स्थानों से एम्बुलेंस अरेंज कर कम से कम शुल्क में लोगों को उपलब्ध कराके मदद कर रहे हैं। यदि किसी के पास बहुत अधिक आर्थिक संकट है तो उसे हम मित्र लोग मिलकर एम्बुलेंस का खर्च भी उठा रहे हैं। इटारसी के कोई भी एम्बुलेंस वाले कोविड मरीज को नहीं ले जा रहे हैं तो ऐसे लोगों का लायसेंस रद्द कर देना चाहिए। क्या ये केवल बुखार या अन्य बीमारियों के मरीजों के लिए ही है? इस संकट के वक्त यदि ये काम नहीं आएंगे तो फिर ऐसे लोगों को इस काम से दूर ही कर देना चाहिए।

संदेश – इस वर्ष, सबसे अधिक मरीजों में आक्सीजन का लेबल कम होने की समस्या आ रही है। और यह केवल इसलिए हो रहा है, क्योंकि जैसे ही मरीज को कोविड की जानकारी मिलती है, वह घबरा जाता है, नकारात्मक सोच उस पर हावी हो जाती है, हम ऐसे लोगों से अपील कर रहे हैं कि नकारात्मक विचारों को हावी न होने दें, नकारात्मक खबरें, सोशल मीडिया पोस्ट, नकारात्मक विचार वाले लोगों से मिलने से बचें। यह वायरस इतना घातक नहीं जितना हम घबराकर उसे हावी होने देते हैं। इच्छाशक्ति मजबूत रखेंगे तो इससे जीतना बहुत ही आसान है।

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