होशंगाबाद। रविन्द्रनाथ टैगोर की उक्त पंक्तियों के साथ शासकीय नर्मदा महाविद्यालय के इतिहास परिषद के विद्यार्थियों ने अपनी पृथ्वी को समृद्ध करने के उद्देश्य से पृथ्वी दिवस मनाया। प्राचार्य डॉ. ओ.एन. चौबे ने संबोधित करते हुए कहा कि ग्लेशियर पिघल रहे हैं। समुद्र का स्तर बढ़ रहा है, प्रदूषण से धरती गर्म हो रही है। शस्य-श्यामल माटी दरक रही है। यदि एक-एक नागरिक एक-एक वृक्ष के संरक्षण की जिम्मेदारी ले लें, तो हमारी सूखती धरती की प्यास बुझाई जा सकती है।
डॉ. हंसा व्यास ने कहा विकास के नाम पर जंगल कट रहे हैं, नदियों का पानी प्रदूषित किया जा रहा है। उत्पादन बढ़ाने के लिये उपयोग किये जाने वाले रासायनिक उर्वरक मिट्टी के उन छोटे-छोटे कीड़ों को खत्म कर रहे हैं, जो धरती के लिये महत्वपूर्ण है। अतः हमें उद्देश्यपूर्ण संकल्प के साथ जागरूकता लानी होगी और स्वयं भी कोशिश करनी होगी। यदि धरती पर वृक्ष होंगे तो धरती, जल, जंगल, फल घाट सब सरस होगें। डॉ. बी.सी. जोशी ने कहा पेड़-पौधों का संरक्षण जरूरी है। कृत्रिम वस्तुओं का उपयोग बंद करना होगा।
डॉ. कल्पना विश्वास ने कहा जंगल, पहाड़, नदियों को नष्ट करके हम कांक्रीट का जंगल बना रहे हैं। बरसात के जल संरक्षण करके जल स्तर को संतुलित कर सकते हैं। वैशाली भदोरिया ने संचालन करते हुये कहा कि हम छोटे-छोटे प्रयासों से अपनी धरती को समृद्ध कर सकते हैं। जरूरी नहीं कि प्रयास व्यापक स्तर पर हो। पशु-पक्षियों की भूख प्यास की व्यवस्था करके भी हम अपनी पृथ्वी का जीवन बचा सकते हैं। जिसमें राघवेन्द्र कदम, कान्हा पाठक, देवांश बैरागी, अजय बावरिया, वैभव पालीवाल, भारती चौहान, शिवानी झरानियां, प्रवीण सेन आदि विद्यार्थियों ने देश को सरस बनाने का संकल्प लिया और इतिहास विभाग में इंडोर प्लांटेशन किया। साथ ही इतिहास विभाग में मालाखेड़ी के तुलसी विद्या मंदिर और व्यायाम शाला में बादाम, आम, जामफल के फलदार वृक्ष लगाये।
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देश की माटी देश का जल सरस बने
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