स्वच्छ भारत अभियान थ्री-आर पर काम किया जाएगा
इटारसी। स्वच्छ भारत अभियान के अंतर्गत अब इटारसी नगरपालिका कबाड़ से जुगाड़ करेगी। इसके अंतर्गत अपशिष्ट प्रबंधन में थ्री आर रीड्यूस यानी कम करना, रीयूज यानी पुन: प्रयोग करना और रीसायकिल यानी उपयोग की गई वस्तु का पुन: चक्रण के सिद्धांत पर कार्य किया जाएगा।
इस थ्री आर पहले के अंतर्गत आज नगर पालिका सभागार में स्वच्छता विभाग की एक बैठक हुई जिसमें वरिष्ठ पार्षद लालू गौर, सभापति राकेश जाधव, पार्षद अभिषेक कनोजिया, हेल्थ आफिसर सुनील तिवारी, स्वच्छता निरीक्षक आरके तिवारी, कमलकांत बडग़ोती, सचिन मलैया सहित नपा के कर्मचारी मौजूद थे।
इन पर हुई बैठक में चर्चा
बैठक में वार्डों में निकले वाले कबाड़ से जुगाड़ कर सजावट की वस्तु बनाने, मैरिज गार्डन से 500 रुपए प्रति ट्राली कचरा एकत्र करने, बड़ी होटल 1000 रुपए प्रति माह व छोटी होटलों से 500 रुपए प्रति माह कचरा कलेक्शन चार्ज लेने पर सहमति बनी। इसी तरह से बरसात पूर्व नालों की सफाई करने, वार्डों में हर सोमवार विशेष सफाई अभियान चलाने, कीटनाशक दवा छिड़काव के लिए 2 फॉगिंग मशीन व एक टेंकर खरीदने, सरकारी स्कूलों को हफ्ते में 1 बार साफ करने, कर्मचारियों को प्रतिदिन ड्रेस कोड में आने जैसे प्रमुख बिंदुओं पर कार्य करने के निर्देश समस्त वार्ड मुकद्दम को दिए।
ऐसे होगा थ्री आर पर काम
दरअसल, स्वच्छ भारत अभियान के अंतर्गत चल रहे क्रमबद्ध कार्यक्रमों के अंतर्गत जो थ्री आर पर काम होना है उसमें पहला आर रीडूस यानी कम करना। इसमें कचरे को कम करने पर जोर दिया जाएगा। लोगों को जागरुक करके कम से कम पेपर, प्लास्टिक का उपयोग करने को कहा जाएगा। पेपर का दोनों तरफ उपयोग करके हम उपयोग घटा सकते हैं। सब्जी, फल व शेष सामान लेते वक्त प्लास्टिक, पॉलिथिन का प्रयोग न करते हुए कपड़े की थैली उपयोग करें तो पॉलिथिन का उपयोग कम होगा, डिस्पोजन ग्लास का प्रयोग न करके ग्लास का प्रयोग करने से कचरे में कमी लायी जा सकेगी। दूसरा आर, यानी पुन: उपयोग करना। इसमें कचरे को फैंकने की बजाए इसे पुन: उपयोग करने के तरीके खोजने की कोशिश की जाएगी। उदाहरण के लिए कांच व प्लास्टिक की बोतलों को फूलदान की तरह प्रयोग किया जा सकता है, न्यूज पेपर का प्रयोग पैकिंग व किताबों के कव्हर बनाने में किया जा सकता है, प्लास्टिक के डिब्बों व बोतलों में पेड़-पौधे लगाए जा सकते हैं, उपयोग किए गए कॉपी, किताब, बैग, खिलौने, जूते, कपड़े आदि दान में देने से दूसरे बच्चे उन्हें पुन: उपयोग में ला सकते हैं। किसी भी वस्तुओं को बदलने के बजाए उन्हें वापस उपयोग में लिया जा सकता है। आईसक्रीम की स्टिक्स से पेन स्टैंउ व घरेलू सजावटी सामान भी बनाया जा सकता है।
घर से निकलने वाला गीला कचरा जैसे खाने की जूठन, चायपत्ती, पेड़ के पत्ते, राख, फल-फूल के छिलके आदि जो पूर्णत: नष्ट हो जाते हैं, जिसको जैविक खान के रूप में परिवर्तित करके उसे वापस खेतों, पेड़-पौधों व नर्सरी आदि में उपयोग किया जा सकता है। लकड़ी के उपयोग से भी घरेलू सजावटी सामान बनाया जा सकता है। तीसरी प्रक्रिया है पुन: चक्रण। यह ऐसी प्रक्रिया है जिसमें वस्तु को फिर से उपयोग के लायक बनाया जाता है। इनमें पुष्ठा, पेपर, ग्लास कंटेनर, मेटल, टीन, एल्युमिनियम, स्टील आदि।