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इतिहास कब्र की दास्तां नहीं

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होशंगाबाद। शासकीय नर्मदा महाविद्यालय के इतिहास विभाग द्वारा इतिहास और जनजीवन विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि पं .टी.सी.शर्मा टीकमगढ़ ने बताया इतिहास केवल राजनीतिक नहीं होता वरन सामाजिक सांसक्रतिक भी होता है। जनजीवन के बिना इतिहास नहीं। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. ओ. एन. चौबे ने कहा कि इतिहास हमारी पहचान है। हमारी निर्णय लेने की क्षमता का विकास करता है। डॉ बी.सी जोशी ने स्वागत उद्बोधन देते हुए इतिहास और जनजीवन विषय पर प्रकाश डाला। डॉ हंसा व्यास ने विषय प्रवर्तन करते हुए कहा कि इतिहास एक यात्रा है शब्दों की, घटनाओ की, विकास की। पुरातत्ववेत्ता यूं ही नहीं भटकता खण्डहरों में, बीहड़ जंगलो में, वो ढूंढता है जीवन के उन अंशो को जिनसे इतिहास बनता है।

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डॉ. अनिल सिंह छतरपुर एवं डॉ ममता सिंह भोपाल ने विषय पर अपने विचार अभिव्यक्त करते हुए कहा कि इतिहास का आम पाठक से गहरा रिशता होना चाहिए। विशिष्ट वक्ता इतिहासकार डॉ रामबाबू मेहर ने कहा कि विश्वसनीय और पठनीय इतिहास लिखा जाना चाहिए। दीक्षा श्रोती,संजय चौधरी, जाग्रति चौहान, रूचि दुबे, निखिल दुबे, वर्षा साहू ने अपने आलेख प्रस्तुत किये। आभार डॉ कल्पना विश्वास एवं जाग्रति चौहान, संचालन वैशाली भदौरिया ने किया। कार्यक्रम में डॉ विनीता अवस्थी, डॉ सुधीर दीक्षित, डॉ सविता गुप्ता, डॉ विनय गोखले, डॉ बी. एल. राय, डॉ ममता गर्ग, डॉ अडलक, डॉ राजीव शर्मा सहित सभी प्राध्यापक उपस्थित थे। इस अवसर पर विश्वविद्यालय में प्रथम स्थान प्राप्त विद्यार्थी अद्युत खरे और अश्विनी मौर्य को सम्मानित किया गया।

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