इटारसी। बंगाल में जन्मे गौरांगदेव अर्थात् चैतन्य महाप्रभु के अनुयायी द्वारा प्रतिवर्ष के अनुसार इस वर्ष भी बंगाली कालोनी स्थित मंदिर में हरिनाम संकीर्तन रामनवमी पर्व पर पूरी श्रद्धा आस्था के साथ प्रारंभ किया। एकादशी को पूरे उत्साह और भक्तिभाव से एकत्र बंगाली समाज भंडारे के साथ इसका समापन करेगा।
इटारसी शहर में पिछले 30 वर्षों से बंगाली कालोनी में श्री राधाकृष्ण मंदिर में रामनवमी पर हरिनाम संकीर्तन का मंजीरा तथा मृदंग की थाप पर बंगाली समाज के स्त्री-पुरुष बच्चों द्वारा पूरे भक्तिभाव तथा आनंद अतिरेक होकर किया जाता है। इस वर्ष भी यह आयोजन रविवार को प्रारंभ हो गया।
सीधे शब्दों में समझने का प्रयास करें तो यह हरिनाम संकीर्तन चैतन्य महाप्रभु अपने आराध्य श्री राधाकृष्ण की भक्ति नृत्य संगीत के माध्यम से गली-गली घूमकर करते थे। इस दौर में जब यह प्रतिबंधित था। दरअसल अपने यहां जिस श्रीकृष्ण जन्माष्टमी और शिवरात्रि पर जागरण हेतु रामसत्ता को आयोजन भजन कीर्तन करते हैं, ठीक उसी तर्ज पर बंगाली समाज भी अपनी पूजा पद्धति और परंपराओं के अनुसार इस हरिनाम संकीर्तन कर ईश्वर की आराधना नृत्य, संगीत कर सुमधुर भजनों पर आनंदित होकर पुण्य अर्जित करते हैं।
इनका यह हरिनाम संकीर्तन अनवरत चलता है। यहां कुछ मंडलियां बनायी जाती हैं जिसमें महिला-पुरुष, बच्चे सभी भाग लेते हैं। यह क्रम टूटे नहीं इसके लिए परंपरानुसार जब एक मंडली का दो घंटे का कालखंड समाप्त होता है, तो दूसरी मंडली गोरांगदेव की पूजा-अर्चना कर पूरे अनुशासन से मंदिर की परिक्रमा कर पहली मंडली को ज्वाइन करते हैं और उसी क्रम से पहली मंडली उन्हें मंच सौंपकर वापस गोरांगदेव तक जाते हैं और वही नृत्य गायक समाप्त कर विश्राम लेते हैं। दूसरी मंडली हरिनाम संकीर्तन कर नृत्य का क्रम जारी रखती हैं। इस पूरे आयोजन को लेकर कार्यक्रम स्थल पर मौजूद व्यवस्थापक दशरथ सरकार ने बताया कि 1992 से मैं यहां इस कार्यक्रम में भागीदारी कर सेवा कर रहा हूं। हरिनाम संकीर्तन का यह क्रम जारी है। एकादशी के दिन यहां विशाल भंडारे के साथ इस आयोजन का समापन होगा।