छुट्टी के दिन भी बना लिया खाना, दोहराया वाकया

Post by: Manju Thakur

मजबूरी में आंगनवाडिय़ां खोलकर कराया वितरण
इटारसी। आज बुद्ध पूर्णिमा का अवकाश था, फिर भी ग$फलत के चलते स्वसहायता समूहों ने आंगनवाडिय़ों में वितरण के लिए भोजन तैयार कर लिया। आनन-फानन में सभी आंगनवाड़ी केन्द्रों को वाट्सअप समूहों में मैसेज़ करके केन्द्र खोलने के आदेश जारी हुए और फिर अवकाश के दिन भी आंगनवाड़ी खुलीं और भोजन वितरण किया गया।
महिला बाल विकास विभाग के इटारसी परियोजना अधिकारी योगेश घाघरे कहते हैं कि कुछ गलत$फहमियों के चलते यह स्थिति बनी थी। हैरत की बात है कि कलेक्टर की ओर से आंगनवाडिय़ों में अवकाश का सर्कुलर पहले से जारी रहता है और सभी को इसकी जानकारी होती है, बावजूद इसके शहर की आंगनवाडिय़ों में भोजन वितरण करने वाले चारों समूहों को इसकी जानकारी नहीं थी और चारों ने एकसाथ भोजन तैयार कर लिया? बात, कुछ गले उतरने वाली नहीं लगती है और इसके पीछे छिपा कारण हो सकता है।
दरअसल इटारसी परियोजना अंतर्गत 92 आंगनवाड़ी केन्द्र हैं और इन केन्द्रों को पथरोटा के दो और इटारसी के दो स्वसहायता समूह भोजन वितरण करते हैं। पथरोटा के शीतल स्वसहायता समूह और कीर्ति स्वसहायता समूह हैं तथा इटारसी के मुस्कान और गृहलक्ष्मी स्वसहायता समूहों द्वारा भोजन तैयार करके वितरण किया जाता है। विगत माह 3 अप्रैल को जिला कार्यक्रम अधिकारी एकीकृत महिला बाल विकास की ओर से सर्कुलर जारी कर तेरह अवकाश घोषित किए गए थे जिसमें 10 मई को बुद्ध पूर्णिमा का अवकाश भी था। इतने पहले अवकाश की जानकारी होने के बावजूद चारों समूहों ने एकसाथ कैसे भोजन तैयार कर लिया, बात समझ से परे है।
परियोजना अधिकारी कहते हैं कि गफलत हो गई, लेकिन सवाल यह है कि ऐसा ही दीपावली के दूसरे दिन भी हुआ था, तब भी अवकाश था। अवकाश के विषय में परियोजना अधिकारी श्री घाघरे कहते हैं कि यूनिसेफ से हमें 300 दिन आंगनवाड़ी लगाने के नियम हैं। कुछ अवकाश मप्र शासन कलेक्टर के माध्यम से घोषित करता है जो स्कूलों में तो लागू होते हैं, लेकिन आंगनवाडिय़ों में नहीं।
इनका कहना है…!
हां, कुछ गफलत के चलते समूह वालों ने भोजन तैयार कर लिया था। अत: सुबह वाट्सअप पर मैसेज़ करके आंगनवाड़ी केन्द्र खुलवाए और भोजन वितरण के बाद केन्द्र बंद कर दिए गए थे।
योगेश घाघरे, परियोजना अधिकारी

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