होशंगाबाद। कलेक्ट्रेट के रेवा सभाकक्ष में जिला लघु उद्योग संवर्धन बोर्ड की बैठक आयोजित की गई। बैठक की अध्यक्षता कर रहे मप्र शासन के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उदयम विभाग के प्रमुख सचिव वीएल कांताराव ने कहा कि सूक्ष्म, लघु और मध्यम उदयम विभाग का उद्देश्य छोटो उद्योगों के विकास के लिए कार्य करना हैं। इसके लिए शासन स्तर से एवं स्थानीय प्रशासन स्तर से पूरा सहयोग उद्यमियों को दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि छोटो उद्योगों के विकास के लिए सरकार ने अपनी नीतियों में परिवर्तन किया है। इनकी लागत का 40 प्रतिशत लौटाने की नीति सरकार द्वारा बनाई गई है। जिले के उद्यमी एवं अधिकारी इस योजना का प्रचार करें ताकि भावी उद्यमी इसका लाभ उठा सकें। इस संबंध में विस्तृत जानकारी विभाग की वेबसाइट पर उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि विभिन्न स्वरोजगार योजनाओं में म.प्र. शासन द्वारा पहले मार्जिन मनी प्रदान करने एवं लोन इंश्योरेंस देने की नीति बनाई गई है ताकि अधिक से अधिक व्यक्ति इससे लाभान्वित हो सके। उन्होंने कहा कि लघु उद्योग संवर्धन बोर्ड का उद्देश्य उद्योगों के संबंध में जिला स्तरीय चर्चा करना हैं। इसके माध्यम से उद्योगों की संभावनाएं एवं समस्याओं पर चर्चा की जाएगी।
बैठक में प्रमुख सचिव श्री कांताराव ने उपस्थित विभिन्न उद्योगों के प्रतिनिधियों से उनकी समस्याएं सुनी एवं विभागीय अधिकारियों को उनके निराकरण के निर्देश दिए। उन्होंने अधीक्षण यंत्री एमपीईबी को निर्देशित किया कि वे लघु उद्यमियों के प्रतिनिधि मण्डल को बिजली प्रदाय करने के विभिन्न पैकेजेस के बारे में बताएं ताकि उनका बिजली का बिल कम हो सके। कलेक्टर अविनाश लवानिया ने कहा कि एमपीईबी यह सुनिश्चित करे कि महीने में एक बार प्रत्येक औद्योगिक क्षेत्र में एक वरिष्ठ अधिकारी विजिट कर उद्यमियों की समस्याओं का समाधान करें। प्रमुख सचिव श्री कांताराव ने कहा कि जिला मुख्यालय में वर्कशॉप के माध्यम से औद्योगिक क्षेत्रों के स्थानीय जनप्रतिनिधियों को वहां हो रहे विकास की जानकारी प्रदान की जाए। उन्होंने कलेक्टर श्री लवानिया को निर्देशित किया कि कृषि भूमि पर उद्योग स्थापित करने के लिए डायवर्सन का आवेदन प्राप्त होने पर एक महीने में डायवर्सन की प्रक्रिया पूर्ण की जाए। इस संबंध में संबंधित राजस्व अधिकारियों को निर्देशित किया जाए। बैठक में कलेक्टर श्री लवानिया ने कहा कि लघु उद्योग संवर्धन बोर्ड की बैठक हर तीन महीने में आयोजित की जाएगी एवं इसके माध्यम से स्थानीय उद्योगों के विकास एवं उनकी समस्याओं पर चर्चा के माध्यम से निष्कर्ष निकाला जाएगा।