इटारसी। श्री दुर्गा नवग्रह मंदिर लक्कडग़ंज में मंगलवार को सातवें दिन भगवान शिव के पार्थिव स्वरूप का पूजन एवं रूद्राभिषेक किया गया। सावन मास में पार्थिव शिवलिंग पूजन का विशेष महत्व है इस कारण कुंवारी लड़कियां और विवाहित महिलाएं पार्थिव शिवलिंग का पूजन करती है। मुख्य आचार्य पं. विनोद दुबे ने पूजन एवं रूद्राभिषेक के पूर्व भक्तों को संबोधित करते हुए कहा कि सावन का महीना भगवान भोलेनाथ के नाम से ही जाना जाता है। उन्होंने कहा कि शिव महापुराण के अनुसार पार्थिव शिवलिंग पूजन से धन, धान्य, आरोग्य और पुत्र प्राप्ति होती है। वहीं मानसिक और शारारिक कष्टों से भी मुक्ति मिल जाती है।
पं. विनोद दुबे ने शिव के पार्थिव स्वरूप के पूजन पर कहा कि कलयुग में इसकी शुरूआत कुष्माण्ड ऋषि के पुत्र मंडप ने की थी। मंडप पूरे सावन मास भर रेत के शिवलिंग अपनी हथेली पर बनाकर उसका पूजन और अभिषेक करते थे। बालक मंडप की शिव भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान भोलेनाथ ने उससे वरदान मांगने को कहा परंतु मंडप ने बिना विचलित हुए धन अैार संपत्ति मांगने की वजह भगवान शिव और माता पार्वती की भक्ति मांगी। भगवान भोलेनाथ ने उसे तथास्तु कहा, शिव पूजन के समय मंडप को सर्वप्रथम याद किया जाता है। पं. विनोद दुबे ने कहा कि भगवन शिव के पार्थिव पूजन से अकाल मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है भगवान शिव की आराधना के लिए पुरूष या महिला कोई भी हो वह पूजन कर सकती है।
उन्हेांने कहा कि यह सभी जानते है कि शिव कल्याणकारी है, जो भी व्यक्ति या महिला पार्थिव शिवलिंग बनाकर विधिवत पूजन एवं अभिषेक करता है वह 10 हजार कल्प तक स्वर्ग में निवास करता है। उन्होंने कहा कि शिव पुराण में स्पष्ट लिखा है कि पार्थिव पूजन सभी दुखों को दूर करके सभी मनोकामनाएं पूर्ण करता है। यदि प्रतिदिन पार्थिव पूजन किया जाए तो इस लोक तथा परलोक में भी अखंड शिव भक्ति मिलती है।
पं. विनोद दुबे ने कहा कि पुरूष या महिला जो शारीरिक रोगी है उन्हें इस महीने में स्वयं या किसी कर्मकांडी बा्रम्हण के माध्यम से महामृत्युंजय मंत्र का जाप कराना चाहिए। श्री दुर्गा नवग्रह मंदिर में आचार्य पं. सत्येन्द्र पांडे एवं यजमानों से विधिवत पूजन एवं रूद्राभिषेक करा रहे है।