इटारसी। चालीस दिन के कठिन व्रत के बाद आज सिंधी समाज के भगवान झूलेलाल चालीहा महोत्सव का समापन हो गया। आज समापन अवसर पर सुबह 7 बजे से समाज के लोगों ने बहराणा साहब का निर्माण प्रारंभ किया। सुबह से दोपहर डेढ़ बजे तक भगवान झूलेलाल मंदिर में भजन-कीर्तन चले और दोपहर 2 से शाम 4:30 बजे तक भंडारे में हजारों भक्तों ने प्रसाद ग्रहण किया।
शाम को सिंधी कालोनी से बहराणा साहब की शोभायात्रा निकाली। शोभायात्रा सिंधी कालोनी में भ्रमण करते हुए मुख्य मार्ग से भारतीय स्टेट बैंक चौराह आयी जहां से सेठानी घाट होशंगाबाद के लिए रवाना किया। शोभायात्रा में सिंधी समाज के हजारों सदस्यों के अलावा अन्य समाज के लोगों ने भी शिरकत की। समाज के गोपाल सिद्धवानी ने बताया कि वरुण अवतार भगवान झूलेलाल चालीहा के समापन पर बहराणा साहिब की भव्य शोभायात्रा निकाली। महोत्सव के तहत चालीस दिन तक हर रोज सुबह-शाम आरती में सिंधी समाज के सैंकड़ों महिलाएं और पुरुष बड़ी संख्या में भाग लेते रहे हैं। उन्होंने कहा कि अपने दैनिक जीवन में भी हमें ईश्वर के प्रत्यक्ष संकेत मिलते हैं। जब कभी दूसरों की सहायता करने का शुभ कर्म करते हैं तब निर्भयता, आनंद, संतोष, और उत्साह का अनुभव भगवान झूलेलाल के होने का प्रत्यक्ष संकेत देता है।
भगवान झूलेलाल का व्रत नवरात्र की तरह कठोर व्रत साधना का पर्व है। झूलेलाल चालीहा साहिब 14 सौ साल पुरानी सिंध की परंपरा है, सिंधु नदी के तट पर संत-महात्माओं ने यह परंपरा शुरू की थी। भगवान झूलेलाल की साधना के इस पर्व का सिंधी समाज में खासा महत्व है। लगातार 40 दिन तक कठिन व्रत साधना कर समाज के लोग मानव कल्याण के लिए पल्लव करते हैं।