इटारसी। राम कथा जीवन जीने की कला सिखाती है। जीवन की 72 कलाएं होती हैं जिसमें जीवन जीने की पहली कला है। जिसने जीना सीख लिया मानो सब कुछ सीख लिया। आज देश की बड़ी विपरीत दशा है। हर जगह विवाद का वातावरण फैला हुआ है। उक्त उद्गार श्री द्वारिकाधीश मंदिर में आयोजित श्री राम जन्मोत्सव समारोह के द्वितीय दिवस में आचार्य प्रवर महेंन्द्र मिश्र ने व्यक्त किये। आचार्य श्री मिश्र ने कहा कि आज देश की बड़ी विपरीत दशा है। हर जगह वाद-विवाद का वातावरण बना हुआ है। पिता और पुत्र में सामंजस्य नहीं है। यहां तक कि पति-पत्नी के मध्य भी एक दुसरे के प्रति समर्पण के भाव बहुत कम मात्रा में देखने को मिलते है अत:परिवार में आपसी सामंजस्य एवं एकता के साथ सुख शांति का वातावरण बना रहे इसके लिये आवश्यकता है श्री राम चरित्र मानस को आत्मसात करने की।
श्री द्वारिकाधीश मंदिर में आयोजित श्री राम कथा समारोह के द्वितीय दिवस में आयोजन समिति अध्यक्ष सतीश सांवरिया, कार्यकारी अध्यक्ष जसवीर छाबड़ा, संरक्षक प्रमोद पगारे व अन्य सदस्यों ने आचार्य श्री का स्वागत किया। संचालन जयकिशोर चौधरी एवं विनायक दुबे ने किया।
शोभायात्रा का स्वागत किया पूज्य पंचायत सिंधी समाज द्वारा चेतीचांद महोत्सव पर निकाली भगवान झूलेलाल की शोभायात्रा जब शहर के प्रमुख धार्मिक स्थल श्री द्वारिकाधीश मंदिर प्रांगण पहुंची तो श्री राम जन्मोत्सव समिति ने परंपरागत रूप से भगवान श्री झूलेलाल की पूजा अर्चना की। शोभा यात्रा और सिंधी पंचायत के पदाधिकारियों का स्वागत किया। इस अवसर पर समिति के अध्यक्ष सतीश सांवरिया, संरक्षक प्रमोद पगारे, कार्यकारी अध्यक्ष जसवीर छाबड़ा, संयोजक संदीप मालवीय, जोगिन्दर सिंह एवं अमित सेठ प्रमुख रूप से शामिल रहे।