इटारसी। श्रीकृष्ण की बाल लीलाएं किसे नहीं लुभाती हैं। फिर यदि उनका वर्णन करने वाला भी उतना ही भावपूर्ण सुनाए तो आंखों के सामने द्वापर ही प्रस्तुत हो जाता है। ऐसा ही कुछ दृश्य इन दिनों प्रिंस मैरिज गार्डन में मौजूद श्रद्धालुओं की आंखों में उतर रहा है। यहां श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन चल रहा है।
श्रीकृष्ण की लीलाएं मानव को कई महत्वपूर्ण ज्ञान देती हैं। श्रीमद् भागवत कथा में सुनाए जाने वाले प्रसंगों को यदि ध्यान से सुनें तो यह आपको जीवन में कई कठिनाईयों से बचा सकते हैं। उदाहरण के तौर पर श्रीकृष्ण और पूतना के प्रसंग को ही देखें तो हमें ज्ञान मिलता है कि बिना पहचान और बिना बुलाये घर आए मेहमान की गोद में बच्चों को यूं ही नहीं दिया जाना चाहिए। यह ज्ञान माता यशोदा को प्रभु ने दे ही दिया था। धौंखेड़ा रोड पर चल रहे श्रीमद् भागवत कथा प्रसंगों में विद्वान जगदीश पांडेय अत्यंत रोचक तरीके से कथा सुना रहे हैं। अमृतलाल पटेल की स्मृति में हो रहे इस धार्मिक आयोजन में श्री पांडेय ने बताया कि घर में या बाहर भी किसी अपरिचित द्वारा दी जाने वाली खानपान सामग्री न तो स्वयं खाना चाहिए और ना ही बच्चों को खिलाना चाहिए।
उन्होंने बताया कि लीला पुरुषोत्तम श्रीकृष्ण ने माता यशोदा और गोपियों को संस्कारित व मर्यादित्त करने के लिए एक सुंदर लीला की थी। इसमें यमुना के जल में वृंदावन की गोपियां पूर्ण निवस्त्र होकर स्नान करती थीं। एक दिन श्रीकृष्ण उनके वस्त्र लेकर कदंब के वृक्ष पर चढ़ जाते हैं और गोपियां जब स्नान करके घाट पर आती हैं तो अपने वस्त्र गायब देख घबरा जाती हैं कि उस अवस्था में वे घर कैसे जाएंगी? तब बालक कृष्ण इस संदेश के साथ वस्त्र वापस देते हैं कि किसी भी पवित्र नदी अथवा जलाशय में निवस्त्र स्नान नहीं करना चाहिए। इससे न सिर्फ स्वयं पाप के भागीदार होते हैं बल्कि वह नदी या जलाशय भी अपवित्र होते हैं। इसी तरह से माखन चोरी, कालिया नाग, गोवर्धन पर्वत आदि प्रसंग सुनाकर भी श्री पांडेय ने महत्वपूर्ण संदेश का ज्ञान कराया। कथा के छटवे दिन शुक्रवार को यहां श्रीकृष्ण-रुकमणि विवाह की झांकी सजायी जाएगी।