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रामगोपाल वर्मा ने मुझे बिखरने नहीं दिया-रणदीप हुड्डा

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(सुनील सोन्हिया एवं अपूर्व शुक्ला की विशेष बातचीत)
रणदीप हुड्डा अपनी दमदार अदाकारी के लिए जाने जाते हैं।फिल्म दर फिल्म अपने अभिनय के दम पर उन्होंने दर्शकों के लिए दिलों में अपनी खास पहचान बनाई है। ‘डी’ ‘किक’ ‘सुल्तान’ ‘हाइवे’ ‘मर्डर-3’ ‘जन्नत-2’ ‘रंगरसिया’ से लेकर ‘सरबजीत’ हर किरदार के साथ एक्सपेरिमेंट करना उनकी खूबी रहा है। शांताराम वेबसीरीज की शूटिंग के लिए ‘रणदीप हुड्डा’ भोपाल आए। इस दौरान ‘पंजाब केसरी’ के संवाददाता से उन्होंने खास बातचीत में अपने अभिनय का सफर साझा किया।

1.आपको बॉलीवुड में स्थापित करने में ‘रामगोपाल’ वर्मा का क्या रोल रहा?
रामगोपाल वर्मा का मैं बेहद शुक्रगुजार हूं कि उनके मुझे बिखरने नहीं दिया। मानसून वेडिंग के बाद मुझे लगा कि मुझे एक्टिंग नहीं आती है तो मैंने सीखने के लिए 3-4 साल थिएटर में निकाले। रामगोपाल वर्मा ने मुझे थिएटर में ही देखा और 3 साल मैंने उनके पास 35 हजार रुपये की नौकरी की सिर्फ घर बैठने की। उन्होंने मुझसे कहा कि और कोई और काम मत करना मैं तुम्हें लॉन्च करूँगा। फिर 3 साल बाद उन्होंने मुझे लॉन्च किया।इससे मेरी इमेज बनी और बड़े पैमाने पर रोल मेरे पास आने लगे।

2.ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर गाली-गलौज और अश्लील दृश्यों की भरमार देखी जा रही है। क्या वेबसीरीज पर भी सेंसरशिप होना चाहिए?
जैसे आप मार्केट से कोई प्रोडक्ट अपनी पसंद के मुताबिक खरीदते हैं उसी तरह फिल्में भी भी एक उत्पाद है जिस ग्राहक को उत्पाद पसंद नहीं हो वह उसे नहीं देखे।ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर इतनी अश्लीलता पहले से मौजूद है।अगर किसी को कोई गलत चीज देखना है तो आप उसे रोक नहीं सकते।ऐसे में वेब प्लेटफॉर्म में कमियां बताकर सेंसरशिप लागू करना गलत होगा।

3.पर्यावरण को लेकर आप किस तरह काम कर रहे हैं?
मैं ग्राउंड लेवल की समस्याओं को समझने की कोशिश कर रहा हूं और जो हमसे मदद हो पाती फॉरेस्ट सुरक्षा गार्ड के लिए हम मदद करते हैं। इंडियन फोरेस्ट सर्विसेस की जो कॉन्ट्रीब्यूशन है हमारे देश और पर्यावरण के लिए,उसे लोग पहचान नही रहे हैं। एक एनजीओ लॉबी होती है जिसका काम सिर्फ गाली देना होता है। लोगों को खुद आगे बढ़ कर पर्यावरण के लिए काम करना चाहिए।

4.हॉर्स राइडिंग का कितना क्रेज है आपको?
मैं पहले भी शूटिंग के लिए भोपाल आया था और एक महीने रुका भी था।उस समय मैंने यहां भी हॉर्स राइडिंग की थी।मैं यहां घुड़सवारी के दौरान गिर भी गया था, लेकिन मुझे चोट कम आई। मैं अभी घुडसवारी में शो जंपिंग और ड्रेसाज करता हूं। मेरे पास 5 घोड़े हैं और मेरी एक आदत है कि मैं 3 टांग के घोड़े लाता हूं और उसकी मलहम पट्‌टी करके उन्हें चार टांगो का बनाता हूं।

5.आप गुस्सैल स्वभाव के लिए जाने जाते थे, बदलाव किस तरह आया?
मेरे ख्याल से जबसे मैं ‘खालसा एड’ एनजीओ से जुड़ा तब से मुझमें सेवाभाव आ गया। मैं एक बार गोल्डन टेंपल गया था जहां मैंने लंगर में सेवा की, लोगों के जूते साफ किए,जूठे बर्तन भी मांजे। मेरे ख्याल से इनके साथ जुड़ने से मैं एक बेहतर इंसान हो गया हूं। मेरे अंदर सहनशीलता आ गई है और गुस्सा आना भी कम हो गया।

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