इटारसी। पारिवारिक व सामाजिक संबंधों का निर्वाहन के बीच, मित्रता का एक ऐसा सबन्ध है जिसका निर्वाहन पूर्णत: सत्यता के साथ निभाना चाहिए।मित्रता सभी सबन्धों एवं धर्मों से बढ़कर होती है। उक्त उदगार भागवत कथाकार पं.
जगदीश पाण्डेय ने ढाबाकलॉ में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा समारोह के समापन दिवस में व्यक्त किये।
व्यास गादी से कथा को विस्तार देते हुए पं. श्री जदगीश पाण्डेय ने भागवत के माध्यम से श्री कृष्ण-सुदामा प्रसंग का भावुक वर्णन करते हुए कहा कि सांसारिक जीवन में सभी सबन्धी आपका साथ छोड़ सकते हैं लेकिन मित्र एक
ऐसा सबन्ध है जो अंत समय तक बना रहता है जैंसे कि श्री कृष्ण और सुदामा का बना रहा। लेकिन इस सबन्ध में कपटता व कटुता नहीं आनी चाहिए। अन्यथा आपका जीवन अपने मूल उद्देश्यों से भटक जाएगा।
कथा समापन के अवसर महाआरती हुई और विशाल भण्डारा हुआ जिसमें हजारों श्रद्धालुओं ने भोजन रूपी महाप्रसादी ग्रहण कर पुण्यलाभ प्राप्त किया।