इटारसी। सफेद दाग की बीमारी न तो छुआछूत और ना ही कुष्ठ है। यह इलाज से ठीक हो सकती है। यह बात विश्व विटिलिगो दिवस पर आज गुरुवार को डॉ.श्यामा प्रसाद मुखर्जी शासकीय अस्पताल में स्किन स्पेशलिस्ट डॉ. एमपीएस चौहान ने कही। उन्होंने कहा कि मनुष्य के शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता वाली कोशिकायें त्चचा रंग बनाने वाली कोशिकाओं के विरुद्ध काम करते हुए उन्हें नष्ट करने लगती हैं। इस कारण व्यक्ति की त्वचा का रंग सफेद होने लगता है। त्वचार के सफेद रंग वाली बीमारी को विटिलिगो या ल्यूकोडर्मा कहते हैं।
डॉ. चौहान ने कहा कि वर्षों पहले इसे श्वेत कुष्ट माना जाता था। लोगों ने इसे कुष्ठ मानकर मरीज से दूरी बनाना शुरु कर दिया जबकि यह गलत है। सफेद दाग छुआछूत की बीमारी नहीं है और ना ही ये किसी तरह का कुष्ठ है। यह बीमारी लाइलाज भी नहीं है। उन्होंने बताया कि समय पर इलाज किया जाये तो रोग ठीक हो सकता है। लेकिन, इसका इलाज लंबा चलता है, रोगी बीच में दवा बंद कर देता है, जिसके कारण यह ठीक नहीं हो पाता है। दुनियाभर में 0.5 से 1 प्रतिशत आबादी विटिलिगो से प्रभावित है जबकि भारत में सफेद दाग के 4 से 5 फीसद मरीज हैं। भारत में इस बीमारी को समाज में कलंक के रूप में देखा जाता है। इस कारण रोगी मानसिक तनाव में रहता है।
विटिलिगो या ल्यूकोडर्मा के इलाज में पिछले दो दशकों में काफी प्रगति हुई है। इसके इलाज में बहुत सारे मेडिकल एवं सर्जिकल विकल्प मौजूद हैं। इसके सही इलाज के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है बीमारी को समझना, इससे घबराना नहीं है। अपना मनोबल बनाये रखना है। बीमारी के लक्षण आते ही इसका इलाज स्किन स्पेशलिस्ट से कराना चाहिए। बहुत सारी दवाएं जो इंटरनेट या विज्ञापनों में बड़े हाईक्लेम से बेची जाती है, जिनका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है, उनसे बचना चाहिए क्योंकि ये शरीर को नुकसान पहुंचा सकती हैं।