इटारसी। कई स्कूलों में चपरासी और स्वीपर नहीं होने के कारण बच्चे ही उनके कार्य कर रहे हैं। बच्चे अपने स्कूल की कक्षाओं के अलावा स्कूल परिसर की सफाई, शिक्षक-शिक्षिकाओं को पानी पिलाना, शौचालय की सफाई आदि कार्य कर रहे हैं। ऐसे में उनका पढ़ाई का वक्त इन कामों में गुजर रहा है और पढ़ाई का नुकसान हो रहा है। काम के बाद बच्चे थक जाते हैं और कक्षा में वे अनमने मन से बैठकर पढ़ाई करते हैं। प्रशासन को इस ओर ध्यान देना चाहिए।
आज नव अभ्युदय संस्था के सदस्यों ने सरकारी शालाओं में चपरासी और स्वीपर रखे जाने की मांग को लेकर होशंगबाद जन सुनवाई में ज्ञापन दिया। संस्था ने आज जिला प्रशासन को उन स्कूलों के फोटोग्राफ्स भी उपलब्ध कराए जिनमें बच्चे सफाई कार्य कर रहे हैं। संस्था ने सवाल उठाया है कि यदि बच्चे सफाई में अपना पढ़ाई का वक्त बिताएंगे तो फिर उनका अध्ययन कार्य प्रभावित होगा और यह उनके भविष्य के साथ ठीक नहीं होगा।
संस्था का कहना है कि सभी प्राथमिक और माध्यमिक शालाओं में कोई स्वीपर और चपरासी न होने से स्कूल के ही बच्चे झाड़ू-पोंछा और डस्टिंग करने का कार्य करते हैं, जिसको करते-करते बच्चे इतने थक और गंदे हो जाते हैं कि पढऩे की इच्छा जवाब दे जाती है। एक और शासन सफाई अभियान पर आंख बंद करके पैसा खर्च कर रहा और दूसरी ओर शिक्षा विभाग हर घर तक शिक्षा पहुंचे इस पर जोर दे रही है, पर वास्तविकता में कुछ भी नहीं होता। संस्था ने स्कूलों में चपरासी और स्वीपर की नियुक्ति करने की मांग की है।
इधर जनसुनवाई में ही ग्राम पंचायत डांडीबाड़ा के सरपंच ने अपने प्रस्तुत आवेदन में बताया कि ग्राम के प्राथमिक शाला एवं माध्यमिक शाला में पदस्थ भृत्य विगत 13-14 वर्ष से शाला से अनुपस्थित हैं। शाला के बच्चों को शाला परिसर एवं कक्षाओं की साफ-सफाई करनी पड़ती है। शौचालय की साफ-सफाई एवं शिक्षकों को पानी पिलाना पड़ता है। अत: भृत्य के पद का अन्यत्र ट्रांसफर कर अंशकालीन भृत्य रखने की अनुमति दी जाए। जिससे शाला की साफ-सफाई बच्चों को न करनी पड़े।