Category: Sahitya
चन्द्रशेखर आजाद की जयंती पर किया काव्य गोष्ठी का आयोजन
इटारसी। श्री प्रेमशंकर दुबे स्मृति पत्रकार भवन (Shri Premshankar Dubey Smriti Patrakar Bhavan) में स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी चंद्रशेखर आजाद (freedom fighter Chandrashekhar Azad) की जयंती पर काव्य गोष्ठी (poetry seminar) का आयोजन किया ... Read More
गजल : गुल जहां पे खिला नहीं मिलता
गुल जहां पे खिला नहीं मिलता । उस चमन में मज़ा नहीं मिलता ।। तन्हा मंज़िल तलाशना है हमें , सबको ही काफ़िला नहीं मिलता । जो हमें छोड़कर जहां से गए , ... Read More
झरोखा : एक और जगन्नाथ धाम मनोरा में भी…
पंकज पटेरिया -राजधानी से 100 किलो मीटर दूर भी एक जगन्नाथ जी महाराज जी का अद्भुत मंदिर यहां की सारी व्यवस्था पुरी स्थित विश्व प्रसिद्ध जगन्नाथ मंदिर जैसी ही है। रथ यात्रा शुभ ... Read More
एक संस्मरण : चन्ने भैया इटारसी की धड़कन में बसते थे
पंकज पटेरिया देश का प्रमुख जंक्शन रेलों की रानी इटारसी का वह जमाना कुछ और था। उतनी आबादी नहीं थी, विकास भी उतना नहीं था। लेकिन मानवीय मूल्यों की उतनी गिरावट नहीं हुआ ... Read More
झरोखा : जरुरी है वर्तमान का चिपको आंदोलन…
: पंकज पटेरिया -पेड़ो को आसपास रहने दोधरती को सांस लेने दो,ये हमारे आदि देव है,यह अटल विश्वास रहने दो।मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव का आभार मानते हुए राजधानी की जनता ... Read More
झरोखा : मोदी जी तीसरी बार…फिर बने प्रधानमंत्री
: पंकज पटेरिया -एक दिन भी जी, मगर युगगान बनकर जीवही चमक है, वही दमक हैवही गमक है, वही महक हैसच्चे राष्ट्र भक्त विनम्र नरेंद्र मोदीजीवही धार है, वही धमक है।अमर कवि नीरज ... Read More
साहित्य की धारा में कला की अनंत तरंगें
प्रमोद शर्मा पुस्तक समीक्षा- मेरे स्पिक मैके दिन लेखक- अशोक जमनानी देश के जाने-माने साहित्यकार अशोक जमनानी (Ashok Jamnani) की नवीन कृति 'मेरे स्पिक मैके दिन' ('My Spic Mackey days',) साहित्य की धारा ... Read More
झरोखा : शिव की नगरी…महाकालेश्वर, महेश्वर और ओंकारेश्वर
: पंकज पटेरिया -उज्जैन महाकाल देवाधिदेव महाकालेश्वर की नगरी और हाल ही में निर्मित शिवलोक, मरकरी लाइट की चांदनी में नहाता, मनोहारी अद्भुत लोक, अत्यंत भव्य और आल्हादकारी पर। दृष्टि पड़ते ही हम ... Read More
विपिन जोशी की परंपरा के गीतकार …
इटारसी के संदर्भ में जब भी हिंदी साहित्य में कविता की बात होगी तो स्व कवि विपिन जोशी से शुरू होकर विपिन जी पर ही खत्म हो जाएगी । … क्योंकि उनके देहावसान ... Read More
Environment : धधकते शहर को शीतलता देना अब हमारे हाथ में
धधकते शहर को चाहिए शीतलता देने वाले हाथ शाम के साढ़े सात बजे भी पारा अधिकतम 39 पर पहुंच रहा है। घर से बाहर निकलते ही ऐसा लग रहा है जैसे किसी भट्टी ... Read More