स्मृतिशेष: सुश्री जयश्री तरडे सुर सरिता सूरसागर में हुई लीन

Post by: Poonam Soni

(झरोखा:पंकज पटेरिया)/ नर्मदा अंचल संगीत आकाश की जगमग ज्योति तरीका संगीतदेवी सुर सरिता देश विदेश के अपने सैंकड़ों शिष्यों से बिछुड़ कर चिर निद्रा में लीन हो गई। वे अस्पताल में भरती थी।क्रूर करोना से संघर्ष करते हुए उनकी सांसों की सरगम थम गई। यह दुखद खबर देश दुनिया में फैलते ही न जाने सिसकते उनके प्रशंसक, और शिष्य परिवार ने कैसे अपने विदिर्ण होते हृदय को सभाला होगा, और सिसकियों पर काबू पाया होगा? यह सोचते सोचते मन गहरे अवसाद से घिरने लगता है। बागेश्वरी संगीत संस्था की निदेशक बहन जय श्री तरडे ने घोर हलाहल पीते अपना पथ स्वयं बनाया, और चतुर्दिक ख्याति ध्वजा फहराई। आतप के कड़वे घूंट उन्होंने हंसते हंसते पिए,किसी के आगे झुकी नहीं, खुद्दारी बरकरार रखी। दुष्यत कुमार के शब्दो में
कहे तो यू हमने अपना सफ़र तनहा ही तय किया,हम पर किसी खुदा की मेहरबानी नहीं रही।
बहन जय श्री से 40 बरसो सम्बन्ध था। पत्रकार रहते हुए कई पत्र पत्रिका के लिये उनके साक्षातकार लिए,लेकिन वे सदा सौम्य विनम्र और आत्मीय भाव से मिली। नाम मान की सुरभि देश विदेश की हवाओ मे घुलने के बाद भी कभी अहम उन्हे छु नहीं सका।एक अद्भुत भक्ति मय समर्पण था उनमें संगीत के प्रति।उनके पावन सानिध्य में सांस सांस सुरीली
सरगम की अलौकिक अनभूति होती थी। मुझे यह कहते फर्क महसूस होता कि मेरे पुत्र प्रियम को सौभाग्य से इस महान संगीत गुरु से संगीत शिक्षा दीक्षा प्राप्त हुई। जय श्री बहन जिस मृदुल मधुर मोहक स्वर में सुगम संगीत भजन,लोक गीत ,ऋतु गीत गाती थी,उतनी ही भावमयता गम्भीरता और ग हराई में पहुंच कर शास्त्रीय गायन प्रस्तुत करती विशाल श्रोता समुदाय को मंत्र मुग्ध कर देती थी। मुझे खूब याद है, जब वे डूब कर कभी मीराबाई, कबीर सूरदास या तुलसीदास अथवा हरिओम शरनम का को भजन गाती तो उनकी आंखे जहा डबडबा जाती तो सुन रहे मुग्ध श्रोता की आंखो से आंसू झरने लगते। मप्र के खंडवा में 1952 में पिता प्रख्यात बांसुरी वादक, डाक्टर बी के तर्डे और सुप्रसिद्ध गायिका हीराबाई के घर जय श्री का जन्म हुआ था।माता पिता को वे अपना प्रथम गुरु मानती थी। बाद में 9ब रस की आयु से संगीत से ऐसा जुड़ाव हुआ की वह अंतिम सांस तक रहा।महान संगीत गुरु पंडित राम कृष्ण खंडकर,श्री माधव राजे एकनाथ कुलकर्णी,श्री, राम करंदीकर, और नीलिमा बख्शी जी से आपने विधिवत संगीत शिक्षा ली। सांई बाबा के एक बार सपने दर्शन हुए तब से सारा जीवन संगीत मय होगया।ग्वालियर ,एवम किराना संगीत घराने संगीत साधिका नोकरी के सिलसिले में फिर माता नर्मदा की शरण छोड़ कही नहीं गई।अपने सुर लहरियो मे निरन्तर उपस्थिति रहेगी।उनकी प्रतिभाशाली बेटी रागिनी आज उनकी यश कीर्ति की विरासत सँभालेगी। श्री वृद्धि करेगी। स्मृति नमन।

pankaj pateriya

पंकज पटेरिया (Pankaj Pateria)
वरिष्ठ पत्रकार कवि,
संपादक शब्द ध्वज ज्योतिष सलाहकार

Contect Number- 9893903003,940244352

Leave a Comment

error: Content is protected !!