यदि कोरोना हो चुका है तब कम से कम 3 महीने बाद ही वैक्सीन लगवायें

Post by: Poonam Soni

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होशंगाबाद।  शासकीय गृहविज्ञान महाविद्यालय (Government Home Science College) में होम आइसोलेशन (Home isolation) में रह रहे उन लोगों के लिये यह ऑनलाइन सत्र का आयोजन किया गया। जिन्हें चिकित्स्कीय परामर्श की आवश्यकता है। अपने चारों ओर जो चिकित्सा पद्धतियों के प्रति असमंजस का वातावरण प्रत्येक व्यक्ति महसूस कर रहा है। तब यह जरुरी हो जाता है कि दवाओं से संबंधित भ्रम दूर किये जायें और लोग विश्वास के साथ दवा लेकर जल्द ही इस कोरोना नामक महामारी से जीतकर सामान्य जीवन की ओर अग्रसर हों। इस ऑनलाइन सत्र में महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. कामिनी जैन ने कहा की यह अत्यंत हर्ष का विषय है आज हमारे बीच 100 से भी अधिक लोग मीटिंग में हैं। यह चौथा साप्ताहिक सत्र है, इस सप्ताह चिकित्सा पद्धतियों से सम्बंधित सकारात्मक संवाद किये जायेंगे। जिससे चिकित्सा पद्धति का विश्वास के साथ पालन कर कोरोना से जीत सकें। आज हमारे बीच मुख्य अतिथि वक्ता के रूप में भोपाल से होमियोपैथी चिकित्सक डॉ. दीपेश यादव जी को परामर्श हेतु आज की मीट में आमंत्रित किया है । वर्तमान समय में चिकित्सक सबसे व्यस्ततम जीवन जी रहा है, इसके बाद भी उन्होंने अपना अमूल्य समय दिया।

मुख्य अतिथि वक्ता के रूप में जॉइन हुये डॉ. दीपेश यादव (Dr. Deepesh Yadav) ने कहा कि कोरोना की टेस्ट रिपोर्ट आने तक इलाज प्रारंभ कर देना चाहिये। इस समय सर्दी, खांसी, बुखार आदि को सामान्य न मानते हुये गंभीरता से लें। यदि ऑक्सीजन का स्तर लगातार कम हो रहा है तो तुरंत हॉस्पिटल में एडमिट करना चाहिये। ऐसे में होमियोपैथी दवायें स्थिति को संभालने में अत्यधिक सहायक सिद्ध होती हैं। उन्होंने वैक्सीनेशन को जरुरी बताते हुये कहा कि इससे होने वाले तात्कालिक प्रभाव जैसे बुखार आना, इम्युनिटी प्रभावित होना आदि के लिये यदि कुछ होमियोपैथी दवायें ले ली जायें तो इनसे बचा जा सकता है। मीटिंग में उपस्थित सदस्यों के प्रश्नों का उत्तर देते हुये बताया कि यदि कोरोना हो चुका है तब कम से कम 3 महीने बाद ही वैक्सीन लगवायें। यदि बी. पी., मधुमेह, ह्रदय संबंधी बीमारी है तो पहले दवाओं से स्वयं सामान्य स्थिति में लायें, तब वैक्सीन लगवायें। साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि केवल इम्युनिटी बढ़ाकर ही इस बीमारी से जीता जा सकता है और वो आहार एवं व्ययाम द्वारा संभव है। इस सबके अतिरिक्त हमें सकारात्मक सोच रखनी होगी और इस जंग को जीतना होगा। इसके पश्चात् भी यदि कुछ अनहोनी जीवन में हो जाती है तो उसे ईश्वर की इच्छा मानकर स्वीकार करें और स्वयं को डिप्रेशन से बचायें। होमियोपैथी में ऐसी अनेक कारगर दवायें हैं जिनसे इलाज संभव है।

कार्यक्रम के अंत में डॉ. रागिनी सिकरवार (Dr. Ragini Sikarwar) ने महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. कामिनी जैन का आभार व्यक्त करते हुये कहा कि मैडम ने समाज के लिये उपयोगी इस कार्यक्रम में हमें जोड़ा। उन्होंने आज के मुख्य अतिथि वक्ता के रूप में उपस्थित डॉ. दीपेश यादव एवं ऑनलाइन मीट में उपस्थित सभी सदस्यों का महाविद्यालय परिवार की ओर से आभार प्रकट किया। महाविद्यालयीन परिवार के शैक्षणिक एवं गैर-शैक्षणिक सदस्यों के रूप में में डॉ. श्रीकांत दुबे, डॉ. अरुण सिकरवार, डॉ. किरण तिवारी, डॉ. भारती दुबे, डॉ. मीना शुक्ला, डॉ. कंचन ठाकुर, डॉ. रागिनी दुबे, डॉ. ए. एस. खान, डॉ. आर. बी. शाह, डॉ. ज्योति जुनगरे,  किरण विश्वकर्मा, डॉ. अखिलेश यादव, डॉ. मनीष चौधरी , डॉ. आशीष सोहगौरा, डॉ. संगीता पारे, डॉ. रफीक अली, डॉ. निशा रिछारिया, श्री अजय तिवारी , डॉ. नीतू पवार, नीता सोलंकी,  रामसेवक शर्मा तथा कंप्यूटर विभाग और आई. टी. सेल के सदस्य आभा वाधवा, शैलेन्द्र तिवारी, देवेंद्र सैनी, डॉ. रीना मालवीय, जलज श्रीवास्तव, बलराम यादव, मनोज सिसोदिया एवं  राजेश यादव इस ऑनलाइन सत्र में उपस्थित रहे।

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