---Advertisement---
City Center
Click to rate this post!
[Total: 0 Average: 0]

पुण्य स्मरण: होशंगाबाद, इटारसी ने भी पखारे, जब महादेवी के चरण

By
Last updated:
Follow Us

झरोखा: पंकज पटेरिया:  आधुनिक हिंदी साहित्य जगत मीरा जी कही जाने वाली मूर्धन्य कवयित्री महादेवी के चरण पखारने का सौभाग्य होशंगाबाद और इटारसी को भी मिला है। आज काव्य देवी की पुण्य तिथि है। मुझे उनके शुभगमन का पावन प्रसंग सहज स्मरण हो आया, मनुऊ मनुऊ मैं उन्हे प्रणाम कर प्रस्तुत हैं उस अनमोल यादों के वे सेफ। उन दिनों नगर पालिका का दफ्तर इटारसी में बस स्टेंड के पास होता था। राजधानी भोपाल मे किसी सरकारी कार्यक्रम मे महादेवी को आमंत्रित किया गया था। उन्हें लेने के लिए एक सरकारी वाहन अधिकारियों के साथ इटारसी आया था। महादेवी वर्मा इलाहाबाद से इटारसी आ रहीं हैं। उन्हे लेने भोपाल से सरकारी वाहन आया है। यह बात इटारसी निवासी देश के प्रख्यात गीतकार स्व. नंथु सिंह चौहान को तो पता लगी। तो बिना वक्त गंवाए उन्होंनें यह बात तात्कालिक नगर पालिका अध्यक्ष सरताज सिंह को बताई और अपनी योजना अनुसार सरताज जी, कुछ साहित्यकार के साथ पुष्प मालाएं लेकर नगर पालिका कार्यालय के सामने खड़े हो गए। जैसी ही रेलवे स्टेशन से वाहन महादेवी जी को सामने लेकर आया वैसें ही हाथ मे मालाएं लिए लोगों ने वाहन रोक लिया। स्थिति समझ महादेवी जी भावविभोर उतर कर खड़ी हो गई। चौहान जी सहित सभी साहित्याकार चरणो मे झुक गए। चौहान जी बोले जिज्जी गंगा अपनी बहन नर्मदा नगरी से ऐसे कैंसे जा सकती हैं। उन भीगे क्षणों में जिज्जी महादेवीजी भी भावविभोर हो गई थी। खैर सब को उन्होंनें अनंत आशीष दिया, और उसी नमन, नमन स्थिति में भोपाल रवाना हुईं।

होशंगाबाद शुभागमन
पुण्य सलिला मां नर्मदा जी की नगरी होशंगाबाद में 1984 में सिंधु सेवा समिति के कार्यक्रम मे महादेवी जी का शुभागमन हुआ था। पुरानगर उनकी दिव्य उपस्थित से पुलकित हो उठा था। संस्था उनका अभिनंदन कर गौरवांवित हुई थी। उन्ही पावन पलो का पर्व स्नान कर उनके चरणों मे अपना परिचय देकर छोटा सा साक्षातकार देने की प्रार्थना के साथ कुछ प्रश्नों का पर्चा उनके हाथों मे रख दिया। वे बहुत स्नेह दुलार करते हुए बोली अरे बेटा यह क्या फिर पुत्रवत मुझे निहारते बोलने लगी बेटा गंगा नर्मदा सब एक ही हम सब भी उनके बेटा बेटी है। वाणी गंगा, रेवातट, समांतर प्रवाहित हो उठी थी। वे अविकल बोल रही थी। स्वाधीनता का अर्थ मनुष्य का भीतर से अनुशासित होना है। लेकिन दुख तो यह हैं कि किसी ने उसे माना ही नहीं। आज मानवीय मूल्य खो दिए। नई पीढ़ी की किसी चीज मे आस्था नहीं। यह बहुत पीड़ा देनी बाली बात है। एक प्रश्न के उत्तर में महादेवी जी कहतीं हैं गरीबी बड रही है, अमीरी का दायरा बड़ रहा है। राजनेता अर्ध सत्य बोलते हैं। फिर गहरी सांस छोड़ते बोली सब अपने भाई है क्या करे, अपनो से लडने में चोट मन को लगती हैं। खैर अभी भी समय है, सब एक रहें। देश सर्वोपरी देश के लिए जीवन मरण का एक मेव संकल्प सदा रहना ही राष्ट्र प्रेम है। मुझे अपने प्रश्नों के उत्तर मिल गए थे। पुन: प्रणाम कर चरणो में नर्मदा जी के जल माथे से लगा, गंगा स्नान का पुण्य अर्जित कर डायरी पेन समेट घर लोट आया। आज महादेवी जी की आभमयी मातृ रूपा छवि नयनों में बसी है। पावन स्मृति में प्रणाम।

Pankaj Pateriya e1601556273147

पंकज पटेरिया वरिष्ठ पत्रकार साहित्य कार
संपादक शब्द ध्वज
9340244353

For Feedback - info[@]narmadanchal.com
Join Our WhatsApp Channel
Advertisement

Leave a Comment

error: Content is protected !!
Narmadanchal News
Privacy Overview

This website uses cookies so that we can provide you with the best user experience possible. Cookie information is stored in your browser and performs functions such as recognising you when you return to our website and helping our team to understand which sections of the website you find most interesting and useful.