– बैतूल से सायकिल निकले युवा केदारनाथ होकर जाएंगे काठमांडू
इटारसी। रूस (Russia) और यूक्रेन (Ukraine) युद्ध में तबाही और मानव जिंदगी के खतरे से आहत, बिगड़ते पर्यावरण की चिंता और देश में टीबी (T) की बीमारी से बिगड़ रहे हालात लेकर बैतूल के युवा सायकिल यात्रा (cycling tour) करके पहले केदारनाथ (Kedarnath) जाएंगे और फिर वहां से नेपाल (Nepal) काठमांडू (Kathmandu) जाकर पशुपतिनाथ (Pashupatinath) से तीनों ही विषयों पर राहत की प्रार्थना करेंगे।आज सुबह बैतूल (Betul) से सायकिल पर निकले संदीप यादव (Sandeep Yadav) 28 वर्ष और विशाल ठाकुर (Vishal Thakur) 19 वर्ष नर्मदापुरम (Narmadapuram) होते हुए निकले हैं। उनका आज रात्रि का पड़ाव बुदनी रहेगा। सायकिल से दर्जनों यात्रा कर चुके संदीप यादव का कहना है कि वे कई विषयों पर यात्राएं कर चुके हैं और एक बार पैदल नर्मदा परिक्रमा भी की है। लेकिन, इस बार की यात्रा खास तीन विषयों को लेकर है, जो मानव जीवन से सीधी जुड़ी हैं। सबसे पहला विषय है, विश्व शांति, दूसरा पर्यावरण सुधार और तीसरा टीबी मुक्त भारत।
रूस-यूक्रेन युद्ध में तबाही से वे आहत हैं और बाबा केदारनाथ और पशुपतिनाथ से यह युद्ध जल्द खत्म हो और शांति कायम हो, यह कामना करेंगे। सायकिल से यात्रा पर्यावरण सुधार का संदेश दे रही है तो वे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) के 2025 तक भारत को टीबी मुक्त भारत बनाने के सपने से प्रभावित हैं। वे इस दिशा में मित्रों के साथ काम कर रहे हैं और सभी को इसके लिए प्रेरित होने का संदेश दे रहे हैं।
यहां कर चुके हैं यात्रा
संदीप यादव बताते हैं कि अब तक वे शिर्डी, पचमढ़ी, धूनीवाले बाबा खंडवा, शैगांव, अयोध्या की सायकिल यात्रा और नर्मदा परिक्रमा पैदल कर चुके हैं। उनका मानना है कि इस तरह की यात्रा स्वास्थ्य और पर्यावरण की दृष्टि से तो लाभदायक होती हैं, साथ ही इनके माध्यम से हमें संस्कृति को करीब से जानने का मौका भी मिलता है।
कहीं सपोर्ट, कहीं नजरअंदाज
संदीप बताते हैं कि यात्रा के दौरान रास्ते में जिसे भी उद्देश्य पता चलता है, तो खाना खिलाना, हौसला अफजायी करना और कुछ मदद भी करते हैं। कुछ को यह यात्रा दिखावा लगती है तो वे नजरअंदाज भी करते हैं। हालांकि वे इससे विचलित नहीं होते हैं, बल्कि ऐसे लोग भी भरोसा करें इसलिए और बेहतर करने की प्रेरणा ही मिलती है।
कभी भूखे भी रहना पड़ता है
लंबी यात्रा के दौरान कई बार कहीं से कोई मदद नहीं मिलती है और स्वयं भी भोजन पकाने का मौका नहीं मिलता है तो उनको भूखे भी अपनी यात्रा जारी रखनी पड़ती है। संदीप का कहना है कि प्रतिदिन 80 किमी का सफर तय करना है। रात में यात्रा नहीं करते हैं, करीब डेढ़ माह में वे केदारनाथ व पशुपतिनाथ नेपाल जाकर दर्शन कर लेंगे।