माँ तो सिर्फ माँ है…!

Post by: Manju Thakur

होशंगाबाद से मदन शर्मा

वर्तमान दौर में भले ही जहां एक ओर मानवीय रिश्तों की डोर कमजोर होते जा रही है। वही एक मादा श्वान ममत्व और अपनत्व का बड़ा उदाहरण सामने रख रही है। सिवनी मालवा के कांसखेड़ी ग्राम में पालतू नही बल्कि आवारा लावारिश मादा श्वान बंदर के बच्चें को अपना दूध पिलाती है। यही नहीं वह उसे अपने जिगर के टुकड़े की तरह दुलार भी देती है। कांसखेड़ी ग्राम की गलियों मेें मादा श्वान अपनी पीठ पर बैठे बंदर के बच्चों को घुमाती है। इतना ही नहीं ग्रामीणों का कहना है कि मादा श्वान बिल्कुल अपने बच्चें की तहर ही बंदर के बच्चें की देखभाल कर अपना पूरा समय उस नन्हें बंदर के बच्चें के साथ ही बिताती है। कांसग्रामखेड़ी ग्राम के ग्रामीणों का कहना है कि दो माह पहले ये बंदर के बच्चें का जन्म हुआ था, जन्म के बाद से बच्चा अपनी मां और झुण्ड़ से अलग हो गया और इधर-उधर भटकने लगा। तभी कुछ आवारा श्वान इसके पीछे पड़ गये तब इसी मादा श्वान ने इसकी जान बचाई थी। तभी से बंदर का बच्चा इसी मादा श्वान के साथ रहने लगा ओर उसी का दूध पीता है एवं उसकी पीठ पर ही बैठकर पूरे ग्राम में बिल्कुल अपनी मां की तरह ही घूमता हैै। मादा श्वान भी उसे अपने बच्चें की तरह ही दुलार करती है और हर पल साथ रखती है। इस श्वान की ममता को देखने के लिये लोग दूर-दूर से आ रहे है।

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