इटारसी। इन दिनों हॉफ ह्यूमनॉईड व्योममित्र का दूसरा अर्धमानव रोबोट मॉडल आदिवासी विकासखंड केसला की अंतरिक्ष विज्ञान प्रयोगशाला में बच्चों के साथ चहल-कदमी कर रहा है। विज्ञान शिक्षक राजेश पाराशर ने इसे असेंबल किया है। यह व्योममित्र मॉडल केसला की खगोल विज्ञान प्रयोगशाला में भारत की अंतरिक्ष विज्ञान में सफलता को बता रहा है। गणतंत्र दिवस के अवसर पर आईएएस हरेंद्र नारायण ने केसला पहुंचकर आदिवासी छात्रावास की बालिकाओं के साथ इस रोबोट का अनावरण किया। 2 फीट ऊंची यह व्योममित्र न केवल आगे पीछे बढ़ती है, बल्कि घूमकर चारों ओर के आंकड़े लेती दिखती है। यह अपनी आवाज में निर्देश भी देती है।
हरेंद्र नारायण ने इस अवसर पर कहा कि आकाशगंगा के खरबों पिंडों के बीच मानव का अस्तित्व न के बराबर है, लेकिन अन्य जीवधारियों से अलग हटकर मानव ने अपने ज्ञान के विकास के दम पर अंतरिक्ष की असीमित उंचाईयों तक कदम रख चुका है। विज्ञान शिक्षक राजेश पाराशर का कहना है कि भारत की आजादी के 75 साल पूरे होने के पूर्व हमारा देश अंतरिक्ष में मानवयुक्त अंतरिक्षयान भेजने जा रहा है। इसके पहले दिसंबर 2020 और जून 2021 में अर्धमानव रोबोट व्योममित्र को अंतरिक्ष में भेजा जायेगा जो यान के मापदंडों पर निगरानी रखेगा और जीवन रक्षक प्रणाली का काम देखेगी। बच्चों में अंतरिक्ष विज्ञान में रुचि को बढ़ाने अंतरिक्ष प्रयोगशाला में व्योममित्र का वर्किंग मॉडल रखा है।
प्राचार्य एस के सक्सेना ने कहा कि आदिवासी अंचल के बच्चों को साइंस सेंटर जैसी सुविधायें देने का विज्ञान शिक्षक राजेश पाराशर का एक नया प्रयास है। इससे विज्ञान के प्रति रुचि बढ़ाने में मदद मिलती है।