पचमढ़ी। हजरत निजामुद्दीन औलिया और हजरत अमीर खुसरो जैसे दरबारी गायक के 700 साल पुराने सिकंदरा घराने से ताल्लुक रखने वाले निजामी बंधुओं की रंगारंग प्रस्तुतियों से पचमढ़ी की वादियां सूफीमय हो गयीं। देश-विदेश में अपना लोहा मनवाने वाले निजामी बंधुओं ने अपनी प्रस्तुति से पूर्व कहा कि पचमढ़ी में आकर बेहद गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। पचमढ़ी महादेव भोलेनाथ की नगरी है। यहां भोलेनाथ के महादेव, चौरागढ़ जैसे अनेक पवित्र तीर्थ स्थान हैं। उन्होंने कहा कि भगवान भोलेनाथ के डमरु की मिसाल पूरी दुनिया में है जो हम अपने प्रस्तुतियों के माध्यम से आज आपको बताएंगे।
निजामी बंधुओं ने मोह से नैना मिलाके गीत पर अपनी प्रस्तुति से लोगों को मंत्र मुग्ध कर दिया। ख्वाजा मेरे ख्वाजा सूफी गीत, भर दो झोली मेरी मोहम्मद बोल पर कव्वाली गायन किया। दम अली दम, मेरे रसके कमर, दिल दिया है जान भी देंगे ए वतन तेरे लिए, मज़ा आ गया, रॉकस्टार फिल्म के अरबी बोलों पर आधारित सूफी गीत कुन फाया कुन्न की मनमोहक प्रस्तुति से उपस्थित जनसमूह को झूमने पर मजबूर कर दिया। इसके पश्चात दमा दम मस्त कलंदर गीत का गायन कर अपनी अंतिम शानदार प्रस्तुति दी।
निजामी बंधु के कार्यक्रम से पूर्व विभिन्न स्थानीय कलाकारों ने मनमोहक प्रस्तुति दी जिसमें प्रमुख रूप से डेस्लार ग्रुप, भूमि एंड ग्रुप ने राजस्थानी लोक नृत्य कालबेलिया की रोचक प्रस्तुति दी। इसी क्रम में स्थानीय कलाकार सोनू ने रुक जा ओ दिल दीवाने, एक लड़की थी दीवानी थी, आदि गीतों पर नृत्य की प्रस्तुति दी। टैलेंट सर्च स्कॉलरशिप प्राप्त असीमा रघुवंशी ने भरतनाट्यम की अंतिम शैली तिलाना पर रोचक प्रस्तुति दी। संगीत वशिष्ट संगीतकार ने गीत पर प्रस्तुति दी।