इटारसी। मंडी मॉडल एक्ट (Mandi Model Act) के विरोध में प्रदेश भर के हजारों कर्मचारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा, कर्मचारी महासंघ के बैनर तले हड़ताल कर रहे हैं। मंडी कर्मचारियों(Mandi employees) की हड़ताल के कारण इटारसी मंडी(Itarsi mandi) में भी सन्नाटा पसरा है। मंडी के कर्मचारी गेट पर धरना देकर बैठे हैं और अपनी मांगों के समर्थन में नारेबाजी कर रहे हैं। बीच-बीच में भारत माता की जय के नारे भी लगा रहे हैं।
मॉडल मंडी एक्ट(Model mandi act) के विरोध में मंडी अनाज व्यापारी पूर्व से ही हड़ताल पर हैं, इसलिए मंडियों में कामकाज नहीं हो रहा है। विगत 25 सितंबर से कर्मचारी भी हड़ताल पर चले गए हैं। मंडी मॉडल एक्ट पर सरकार और संयुक्त संघर्ष मोर्चा मंडी बोर्ड के बीच सहमति नहीं बन पाई है। पूर्व में सरकार ने 15 दिन का समय लेकर हड़ताल खत्म करने का आह्वान किया था। लेकिन इन 15 दिनों में सरकार द्वारा अपेक्षित कदम नहीं उठाए जाने के कारण व्यापारी और कर्मचारी पुनः हड़ताल पर चले गए हैं। इन दिनों प्रदेश के लगभग 9000 कर्मचारी हड़ताल पर हैं। इन कर्मचारियों का कहना है कि इस बार यह लड़ाई आर-पार की होगी।
मंडी कर्मचारियों का कहना है कि विगत 50 वर्षों में हमने मेहनत करके मंडियां खड़ी की हैं, और आज उनके अस्तित्व पर संकट है, तो हमें मंडियों का अस्तित्व बचाए रखने के लिए यह हड़ताल करना पड़ रही है।
उल्लेखनीय है कि मध्यप्रदेश शासन ने कृषि उपज मंडी अधिनियम 1972 में संशोधन कर मॉडल एक्ट लागू किया है। मंडी के कर्मचारी इसी एक्ट का विरोध कर रहे हैं। हड़ताल कर रहे कर्मचारियों के नेताओं का कहना है कि मॉडल एक्ट लागू हो जाने के बाद मंडियों को मिलने वाला 1.7% का टैक्स नहीं मिलेगा। इसमें निजी मंडियां खोलने का प्रावधान भी है। गोदामों को प्राइवेट मंडी(Private mandi) माना जाएगा इससे सरकारी मंडी(Govt mandi) का निजी मंडियों के कामकाज में हस्तक्षेप नहीं होगा, जिससे मंडी समितियां आर्थिक रूप से कमजोर हो जाएंगी और अधिकारी कर्मचारियों को वेतन भत्ते के भी लाले पड़ जाएंगे।
कर्मचारियों ने पहले 3 से 6 सितंबर तक हड़ताल की थी, इसके बाद सरकार से आश्वासन मिलने पर 15 दिन के लिए हड़ताल खत्म की गई थी। लेकिन सरकार की तरफ से अपेक्षित कदम नहीं उठाए जाने के कारण पुनः बेमियादी हड़ताल प्रारंभ की गई है।