चाणक्य सर्वधर्म सद्भाव समिति ने किया शिक्षकों का सम्मान

Post by: Manju Thakur

इटारसी। सर्व ब्राह्मण समाज ने चाणक्य सर्वधर्म सद्भाव समिति के बैनर तले शिक्षकों का सम्मान किया। यह कार्यक्रम कवि भवानी प्रसाद मिश्र ऑडिटोरियम में आचार्य चाणक्य शिक्षक सम्मान के नाम से किया गया। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुरेश पचौरी, वरिष्ठ पत्रकार मनोज मनु, हथकरघा विकास विभाग के आयुक्त राजीव शर्मा, पूर्व विधायक गिरिजाशंकर शर्मा, अंबिका प्रसाद शुक्ला, सीनियर डीएमई सचिन शर्मा, संस्कृत के विद्वान सुरेश शास्त्री और सुनील तिवारी शामिल हुए।
कार्यक्रम में स्वागत भाषण में सर्व ब्राह्मण समाज के जिलाध्यक्ष जितेन्द्र ओझा ने कहा कि हमें हर समाज का साथ मिलता है। पिछले दिनों करायी गयी सर्वधर्म क्रिकेट प्रतियोगिता का आयोजन सभी के सहयोग से सफल रहा। हम इटारसी के लिए कह सकते हैं कि इटारसीवासी हिन्दु, मुस्लिम, सिख, ईसाई जैसे धर्म और जाति से परे हैं। कार्यक्रम में तीस अलग-अलग समाज और धर्म के अध्यक्ष मौजूद हैं, मतलब पूरा इटारसी इस कार्यक्रम में शामिल हुआ है। शुरुआत में भगवान नित्यानंद संगीत महाविद्यालय के संचालक शरद दीक्षित और उनके विद्यार्थियों ने संगीतमयी प्रस्तुति दी। अतिथियों ने भगवान परशुराम की पूजा अर्चना की और दीप प्रज्वलन किया।गायक आलोक गिरोटिया ने भी प्रस्तुति दी। कार्यक्रम का संंचालन सुनील वाजपेयी और अशोक शर्मा ने किया।

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समारोह को संबोधित करते हुए वरिष्ठ पत्रकार मनोज मनु ने कहा कि शिक्षक हमारे भीतर संस्कार डालते हैं, जो मनुष्य संस्कारी होती है, वही राष्ट्र का निर्माण करती है। उन्होंने कहा कि वे धन्य हुए कि यहां शिक्षाकों का सम्मान करने का अवसर मिला। उनका यहां आना सुखद रहा है। पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुरेश पचौरी ने कहा कि जीवन में क्या बेहतर है, यह शिक्षक ही सिखाता है। विप्र धर्म किसी धर्म या संप्रदाय से संबंधित नहीं होता है, बल्कि यह एक आचरण संहिता होती है। विप्र समाज को किसी दायरे, जाति से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए। पूर्व विधायक पंडित गिरिजाशंकर शर्मा ने कहा कि किसी सामाजिक संगठन को दूसरे समाज के लोग संदेश की दृष्टि से देखते हैं। लेकिन, सर्व ब्राह्मण समाज ऐसा है, जो जितेन्द्र ओझा के नेतृत्व में सद्भावना कायम रखने में कामयाब रहा है। हाथ करघा आयुक्त राजीव शर्मा ने कहा कि इटारसी आना इसलिए अच्छा लगा कि यहां आकर उर्जा मिलती है। जो भी समाज अपनी श्रेष्ठ प्रतिभाओं का सम्मान करता है वह अपना श्रेष्ठ और उज्ज्वल भविष्य सुनिश्चित करता है। कोई भी समाज या कोई भी ऐसा तंत्र जो प्रतिभाओं की उपेक्षा करता है। जो अपने बुजुर्गों का सम्मान नहीं कर सकता है, विशेषकर शिक्षकों का सम्मान नहीं करता उसका उद्धार तो सात जन्मों तक नहीं हो सकता है।

इन शिक्षकों का सम्मान
समारोह में एनपी चिमानिया, मोहन गिरी गुरू, राजेश उपाध्याय, चंद्रप्रभा ठाकुर, निशा गौर, नित्यगोपाल कटारे, कुमुद दुबे, हरीश दुबे, एमएल दुबे, सुशील कुमार शर्मा, मालती शुला, मधुलिका तिवारी, आशा मिश्रा, उषा किरण शर्मा, मोर सिंह राजपूत, वीरेंद्र प्रसाद दीक्षित, एमडी गौर, कांंति वाजपेयी, सुभाषचंद्र जैन, बालाराम कौशल, सरला शुभाषिनी, एनडी गौर, लखनलाल महालहा, शकीना इकबाल, जीपी मालवीय, गुरुप्रसाद सिंंह, केके यादव, सीके शर्मा, डीसी सोनी शामिल हैं। शिक्षकों को शाल श्रीफल के साथ और प्रशस्ति पत्र और स्मृति चिन्ह भेंट कर समानित किया। अंत में अतिथियों को भी स्मृति चिह्न प्रदान किये गये।

 

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