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दयानंद आश्रम गुरुकुल में वैदिक होली मनायी

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इटारसी। दयानंद आश्रम गुरुकुल (Dayanand Ashram Gurukul) जमानी में आज वैदिक होली (Vedic Holi) मिलन समारोह का आयोजन किया गया। इस अवसर पर सुबह आचार्य सत्यप्रिय जी ने हवन संपन्न कराया, और स्वामी अमृतानंदजी के प्रवचन हुए। दोपहर में भंडारा में भोजन प्रसादी वितरित की। इस मौके पर मौजूद लोगों ने एकदूसरे को गुलाल लगाकर होली पर्व की शुभकामनाएं दीं।
अपने प्रवचनों में स्वामी अमृतानंद ने कहा कि वेद सब सत्य विद्याओं की पुस्तक है। वेद पढऩा, सुनना, सुनाना, सब आर्यों का परमधर्म है। आर्य यानी श्रेष्ठ पुरुष। यदि श्रेष्ठ बनना है तो व्यभिचार छोडऩा, सत्य को धारण करना और सुपात्र बनना चाहिए। ये बातें धारण करेंगे तो परमात्मा को प्राप्त कर लेंगे। उन्होंने कहा कि जीवन में शराब नहीं पीना, मांस-मछली नहीं खाना चाहिए। यह कर लेंगे तो व्रती हो जाएंगे।
उन्होंने कहा कि जीवन में सत्य को ग्रहण करना और असत्य को छोडऩा चाहिए, सब काम धर्मानुसार करो, पहले विचार करो फिर आगे बढ़ो। जो सत्य को धारण करता है, वह ईश्वर को धारण करता है। ईश्वर सर्वशक्तिमान, न्यायकारी, दयालु, अजन्मा, अनंत, निर्विकार, अनुपम, अनादि, सर्वव्यापी, सर्व अंतर्यामी, अजर, अमर, अभय, सृष्टिकर्ता है। उसी की उपासना करने योग्य है। हमारे पास जो भी सत्यविद्या है, वह परमेश्वर का ही रूप है। स्वामी जी ने कहा कि प्रत्येक को अपनी ही उन्नति से संतुष्ट नहीं होना बल्कि सबकी उन्नति अपनी उन्नति समझनी चाहिए।

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