- पंकज पटेरिया
देश का प्रमुख जंक्शन रेलों की रानी इटारसी का वह जमाना कुछ और था। उतनी आबादी नहीं थी, विकास भी उतना नहीं था। लेकिन मानवीय मूल्यों की उतनी गिरावट नहीं हुआ थी। एक दूसरे के सुख -दुख शहर की आपदा विपदा में लोग कंधे से कंधा मिला कर खड़े हो जाते थे। आपसी राग द्वेष संकीर्ण मानसिकता से दूर आरएसएस और उनके सहृदय संस्कारवान, सेवाभावी लोग अपनी सुख सुविधा को छोड़कर पीडि़त मानवता की सेवा में रत रहते थे। ऐसे ही भले नेक दिल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता यथा सुक्कू भैया पूर्व विधायक नर्मदा प्रसाद सोनी, भैया लीलाधर अग्रवाल, नब्बू भैया, इंग्ले चाचा (टेलर मास्टर,) हरिनारायण भैया अग्रवाल, (केशव प्रसाद पटेरिया मेरे भाई) गया भैया और इन सब में अग्रज वरिष्ठ चेन्न भैया होते थे। सौम्य स्वभाव, मिलनसारिता, सेवाभाव प्रवृत्ति, विनोद प्रियता और स्व अनुशासन जैसे दिव्य गुण उनके व्यक्तित्व को विशिष्ट बनाते थे।
मैं अपने बड़े भाइयों के साथ स्टेशन स्कूल में लगने वाली तिलक शाखा में नियमित जाता था। राम शंकर रघुवंशी भैया कालेज में पढ़ते थे, और रोज शाखा लगाते थे। लिहाजा उनके प्रति आदर भाव था। वह भी बहुत प्यार से हम छोटे शिशु, किशोर स्वयंसेवक से मिलते थे। शिवाजी महाराणा प्रताप की कहानी सुनाते थे और हमारा उत्साहवर्धन करते थे। संघ की शाखा में फिर जब भी आते तो हम लोगों के साथ खेलते ध्वजारोहण और समापन पर प्रार्थना में अवश्य शामिल होते थे। भाई साहब के कारण हमारे घर भी कुशल चैन पूछने आते थे और मुझसे महाराणा प्रताप वाली कविता सुनते थे। मेरी मां अम्मा जी को यह भी अम्मा जी कहते थे। उनका एक भारत भोजनालय था, पहली लाइन में, जहां वे बिना नफा नुकसान के भोजन करने वालों को भोजन कराते थे। कई बार बल्कि रोज ही दो-चार गरीब लोगों को भी वे बिना शुल्क लिए प्रेम से भरपेट भोजन कराते थे। वे कहते थे कि अन्नपूर्णा का भंडार है, हमें सेवा सौभाग्य मिला है।
एक प्रसंग और याद आता है। सन् 62 की चाईना युद्ध के समय की बात है, तब राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के यह सभी राष्ट्र भक्त तात्कालिक थाना प्रभारी श्री बल साहब से संकट के समय राष्ट्र हित में रायफल चलाने की ट्रेनिंग लेने नियमित शाम थाने जाते थे, ताकि आसन्न संकट के वक्त खड़े हो सकं। स्वयं सेवक आम लोगों के घर घर जाकर उनका मनोबल बढ़ाते और संगठित रहने की सलाह देते थे राष्ट्र हित में। चन्ने भैया स्मृति न्यास ने उनकी पुण्य स्मृति में महर्षि नारद पत्रकार पुरस्कार समारोह आयोजित किया, यह बहुत सुखद है। चेन्नई भैया भी उस युग में इतनी व्यस्तता के बाद भी राष्ट्रीय कविता लेख आदि लिखा करते थे। उनकी स्मृति में कोटि-कोटि नमन।