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‘धुकधुकी’ की बेला हो गई प्रारंभ, नेताओं की खामोशी बढ़ा रही चिंता

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सोशल मीडिया पर चल रहे जीत के दावे

रोहित नागे, इटारसी
इटारसी। 17 नवंबर को मतदान के बाद से राजनीति खामोश है। बड़े नेताओं की चुप्पी इस चिंता को और गहरा कर रही है, कि आखिर किसे जीत मिलेगी? लेकिन सोशल मीडिया पर जीत के दावे किये जा रहे हैं। जब तक मतगणना होकर परिणाम नहीं आ जाते, इस तरह के हवाई किले बनाये जाते रहेंगे। विधानसभा चुनाव में न सिर्फ नर्मदापुरम जिले में बल्कि मध्यप्रदेश में भी प्रचंड मतदान होने के बावजूद कोई डंके की चोट नहीं कह रहा हम आ रहे सत्ता में। चुनावी या राजनीतिक बयानवाजी चलती रहती हैं, फिलहाल तो वह भी खामोश है। मतदान के बाद मतदाताओं का आभार किया और अब इंतजार है 3 दिसंबर का, जब मतगणना के बाद चुनाव परिणाम आएंगे। सबको अज्ञात भय सता रहा है। इस बार चुनाव में जो मुकाबला हुआ, काफी करीबी रहा। ऐसे में दावों पर सौ फीसद भरोसा कर पाना भी मुश्किल हो रहा है। अब बस ‘धुकधुकी’ की बेला है।

बढ़ा मतदान किसे देगा फायदा

मतदान का प्रतिशत बढऩा किसके लिए फायदेमंद रहेगा। यह पुन: सत्ता पर काबिज होने का संकेत है या सत्ता परिवर्तन का। निश्चित तौर पर कहना मुश्किल है। विपक्ष को भी चिंता है कि कहीं मेरी कश्ती न वहां डूबी जहां पानी कम था, जैसी लाइन साकार न हो जाए। नेताओं की भाव भंगिमा में फिलहाल बेफिक्री दिखाई नहीं देती। देगी भी नहीं, जब तक परिणाम न जान लें।

दावे और हकीकत में फर्क

दावे में और हकीकत में वैसा ही फर्क है, जैसा कि क्रिकेट वल्र्ड कप जीतने के दावे बहुत किये जा रहे थे, लेकिन वे दावे बेदम साबित हुए। हम सत्ता में आ रहे हैं जैसे दावे भी कहीं बेदाम साबित न हो जाएं। बढ़ा हुआ मतदान सभी को डरा रहा है। लाड़ली बहना भाजपा की नैया पार लगाएगी या नारी सम्मान कांग्रेस को सम्मान दिलाएगी, फिक्र में नेताओं के दिन-रात गुजर रहे हैं।

सोशल मीडिया पर रोज चल रहे दावे

सोशल मीडिया पर रोज दावे किये जा रहे हैं। भाजपा और कांग्रेस के कार्यकर्ता एकदूसरे दल के भितरघातियों पर हमले करके अपनी जीत का दावा कर रहे हैं। चैलेंज चल रहा है कि 3 दिसंबर को देखेंगे। भाजपा के लोग कांग्रेस के कार्यकर्ताओं पर निर्दलीय प्रत्याशी का प्रचार कर वोट मांगने, कांग्रेस के युवा नेता खुले तौर पर भाजपा के नेताओं पर आटो के लिए काम करने के दावे कर रहे हैं।

3 दिसंबर का बेसब्री से इंतजार

सभी को परिणाम के दिन 3 दिसंबर का इंतजार है। 3 दिसंबर को तस्वीर साफ हो जाएगी कि भाजपा सत्ता में लौटेगी या साढ़े तीन वर्ष बाद कांग्रेस की मध्यप्रदेश की सत्ता में वापसी होगी। डेढ़ वर्ष के शासन के बाद आखिरकार कांग्रेस को उसी के विधायकों की बगावत से सत्ता गंवानी पड़ी थी। शेष साढ़े तीन वर्ष प्रदेश में भाजपा ने शासन किया और उसी के बलबूते वोट मांगे हैं।

Rohit Nage

रोहित नागे, इटारसी
9424482883

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