विनोद कुशवाहा
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एन वी रमना ने छत्तीसगढ़ के निलंबित एडीजी गुरजिंदर की याचिका पर सुनवाई करते हुए नौकरशाही पर बेहद सख्त टिप्पणी की है। उन्होंने कहा कि नौकरशाह और पुलिस अफसर जिस तरह का व्यवहार कर रहे हैं उसको लेकर आपत्ति है।
उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ पुलिस ने अपने ही पूर्व एडीजी गुरजिंदर पर राज्य सरकार के खिलाफ नफरत फैलाने का आरोप लगाया था। साथ ही उनके विरुद्ध राजद्रोह और अवैध वसूली का मामला भी दर्ज किया गया है। इसी मामले को खारिज कराने हेतु एडीजी गुरजिंदर ने छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में याचिका लगाई थी।
उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश माननीय एन वी रमना ने आगे कहा कि एक समय तो वे इस संबंध में आने वाली शिकायतों की जांच के लिए हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक स्थायी समिति बनाने पर विचार कर रहे थे।
इसके पहले इसी मामले में चीफ जस्टिस ने कहा था कि देश में नया चलन चल रहा है। अफसर सत्तारूढ़ पार्टी के पक्ष में हो जाते हैं। खैर।
यही वजह है कि नेता ब्यूरोक्रेसी को अपनी उंगलियों के इशारों पर नचाते हैं। जो ऐसा नहीं करते तो उनकी दुर्गति हो जाती है।
ज्ञातव्य है कि पूर्व मुख्यमंत्री एवं भारतीय जनता पार्टी की वरिष्ठ नेता उमा भारती ने कुछ दिन पहले ही उपरोक्त सम्बन्ध में काफी आपत्तिजनक बयान दिया था। उन्होंने स्पष्ट कहा था कि ब्यूरोक्रेसी की औकात ही क्या है जो वो राजनेताओं को घुमा ले । यह तो हम लोगों की चप्पल उठाती है।
भारतीय जनता पार्टी के बड़े नेताओं के बाद अब मंडल स्तर के पूर्व पदाधिकारी भी ब्यूरोक्रेसी के खिलाफ उल्टे सीधे बयान दे रहे हैं । प्रदेश की राजधानी भोपाल स्थित नेहरू नगर मंडल के एक पूर्व अध्यक्ष ने अफसरों को अप्रत्यक्ष रूप से धमकाते हुए यहां तक कहा कि हम लोग तो वो हैं जो आई ए एस अधिकारियों तक को पीट देते हैं। ऐसा कहते हुए पूर्व मंडल अध्यक्ष यहीं नहीं रुके बल्कि उन्होंने यहां तक कहा कि वे अगर काम नहीं करेंगे तो उन्हें आने वाले समय में मालूम पड़ जायेगा।
हालांकि बाद में पूर्व मंडल अध्यक्ष ने इसका खंडन करते हुए ये भी कहा है कि उन्होंने ऐसा कुछ कहा है इसका उनको ध्यान नहीं है।
इन सब बयानों से आपा-तकाल के दौर की यादें ताजा हो जाती हैं जब संजय गांधी के पीछे लोग उनकी चप्पलें तक लेकर दौड़ा करते थे।
विनोद कुशवाहा (Vinod Kushwaha)