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जयंती विशेष : पं भवानी प्रसाद मिश्र

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  • अभिषेक तिवारी , इटारसी :

आज प्रख्यात कवि, विचारक, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, हमारे नर्मदांचल के गौरव पं भवानीप्रसाद मिश्र जी की जयंती है। 29 मार्च 1913 को डोलरिया के निकट टिगरिया गांव में उनका जन्म हुआ। उन्होंने कविता लेखन की शुरुआत 1930 में की। वे 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में गिरफ्तार होकर करीब 2 वर्ष जेल में भी रहे।

प्रारंभिक वर्षों में दादा माखनलाल चतुर्वेदी जी ने उनका मार्गदर्शन किया वैसे ही पं भवानीप्रसाद जी ने हरिशंकर परसाई जी को तराशा। नर्मदांचल की यह साहित्यिक त्रिमूर्ति अक्सर मिलकर विमर्श किया करते थे।

मिश्र जी की कविता आम जन की कविता है। उनकी कविताएं व्यापक मानव-मूल्यों की कविताएं हैं, जिनमें सत्ता के विरोध का स्वर भी प्रबल है। सन् 1975 में जब आपातकाल की घोषणा हुई तो भवानी प्रसाद मिश्र जी ने रचनात्मकता के धरातल पर इसका जोरदार विरोध किया। सन् 1972 में ‘बुनी हुई रस्सी’ के लिए आपको साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला। पद्मश्री के साथ 1981-82 में उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान का पुरस्कार भी मिला। 1983 में उन्हें मध्य प्रदेश शासन का शिखर सम्मान मिला।

आपकी प्रमुख काव्य-कृतियां हैं – गांधी पंचशती, गीतफ़रोश, चकित है दुख, अंधेरी कविताएं, बुनी हुई रस्सी, खुशबू के शिलालेख, त्रिकाल संध्या, इदम् न मम्, शरीर, कविता, फसलें और फूल, कालजयी आदि। इसके अलावा बाल साहित्य की 20 पुस्तकों की रचना की। संस्मरण और निबंधों के अलावा उन्होंने संपूर्ण गांधी वांङ्मय, कल्पना (साहित्यिक पत्रिका), विचार (साप्ताहिक) के साथ कुछ पुस्तकों का भी संपादन किया। पं भवानी प्रसाद मिश्र जी का निधन 20 फरवरी, 1985 को हुआ।

शायद छठवीं या सातवीं कक्षा में था जब पहली बार मिश्र जी प्रसिद्ध कविता “सतपुड़ा के घने जंगल” पढ़ी थी जो आज भी मन मस्तिष्क में बसी हुई है।

गांधी जी पर लिखी पांच सौ कविताओं का संग्रह गांधी पंचशती उन्हें सर्वाधिक प्रिय था जिसकी पहली कविता उन्होंने इटारसी स्टेशन पर गाँधीजी को देखकर लिखी थी। इटारसी से उनका गहरा रिश्ता रहा। उनकी भतीजी स्व: वंदना दुबे जी का यहीं विवाह हुआ था। प्रोफेसर कश्मीर सिंह उप्पल जी उनके अभिन्न साथी रहे, स्व: दादाजी समीरमल जी गोठी से उनके आजीवन गहरे संबंध रहे। उनकी स्मृति में नगरपालिका द्वारा शहर में एक सांस्कृतिक सभागार बनाया गया है। आज आवश्यकता है कि युवा पीढ़ी उनके बारे में जाने, पढ़े और उनकी स्मृतियों को समझे, सहेजे।

जयंती पर सादर पुण्यस्मरण..

Abhishek Tiwari

© अभिषेक तिवारी
9860058101

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