Sahitya
सियासी बाग में अनुमानों के आम फलेंगे क्या…
झरोखा – पंकज पटेरिया : फलों के राजा आम का मौसम बाय बाय कर गया, लेकिन सियासी बाग मे अनुमानों ...
मनुष्य और पानी : ढेकली से सबमर्सिबल तक
– बाबूलाल दाहिया, पद्मश्री : पानी के बिना किसी जीवधारी (Man and Water) की कल्पना ही नहीं की जा सकती। ...
नरेंद्र मोदी राजनेता रूप में, ऋषि व्यक्तित्व एक संस्मरण
झरोखा: पंकज पटेरिया: वैश्विक नेता रूप में विश्व मंच पर प्रतिष्ठित और विशाल समुदाय की गूंजती करतल ध्वनि, जयघोष के ...
समीक्षा- गुलमोहर: ‘एक अव्यक्त लगाव’ स्वर्णलता छेनिया
विनोद कुशवाहा पिछले दिनों नर्मदांचल की प्रतिभाशाली युवा कवयित्री स्वर्णलता छेनिया का कविता संग्रह ‘ गुलमोहर ‘ आंखों के सामने ...
अफगान में अमेरिकी फौज के हथियार छोड़े जाने का क्या है निहितार्थ?
झरोखा: पंकज पटेरिया: आखिर जैसी उम्मीद दी, अमेरिकी फौज ने करीब 85 अरब डालर हथियारों का भारी भरकम जखीरा छोड़ ...
कहानी: दर्द
यह सही है कि महिलाओं का आधा हिस्सा हमेशा शोषित रहा है और वह व्यथा की असीम गहराई में रही ...
कविता: जो माँ ने ‘रक्षा बंधन’ पर 71 वर्ष पूर्व लिखी
विनोद कुशवाहा ये कविता मेरी माँ ने 71 वर्ष पूर्व 27 अगस्त, 1950 को ‘रक्षा बंधन’ पर्व के अवसर पर ...