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सीएम हेल्पलाइन के शिकायतकर्ता ओटीपी नम्बर न बतायें

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महोदय,
जनसमस्याओं के निवारण के लिये मध्यप्रदेश सरकार ने सी एम हेल्प लाइन सेवा आरम्भ की थी लेकिन ये भी कारगर साबित नहीं हो रही है क्योंकि सी एम हेल्प लाइन में शिकायत होते ही सम्बंधित विभाग लीपापोती में लग जाते हैं। फिर शुरू होता है शिकायतकर्ता पर दवाब बनाने का सिलसिला। बार-बार शिकायतकर्ता को फोन कर उस पर मनोवैज्ञानिक दवाब बनाया जाता है। समस्या का निराकरण न होने के बावजूद शिकायतकर्ता को यह कह कर गुमराह किया जाता है कि आपकी शिकायत का निराकरण कर दिया गया है। इतना ही नहीं सी एम हेल्प लाइन को भी यही बता कर गुमराह किया जाता है। उस स्थिति में सी एम हेल्प लाइन से शिकायतकर्ता को शिकायत बंद करने हेतु एक ओ टी पी नम्बर भेजा जाता है। शिकायतकर्ता को इस ओ टी पी नम्बर के माध्यम से ऑन लाइन शिकायत निराकरण की जानकारी देनी होती है। फिर क्या है सी एम हेल्प लाइन से भी शिकायतकर्ता पर दवाब बनाने का खेल शुरू हो जाता है क्योंकि शिकायत के निराकरण की जिम्मेदारी सम्बंधित विभाग के साथ – साथ सी एम हेल्प लाइन सर्विसेज की भी होती है। ऐसे में जिस विभाग की शिकायत हुई है ‘वह’ और सी एम हेल्प लाइन एक पाले में खड़े नजर आते हैं क्योंकि विभाग को यह कौन बताता है कि शिकायतकर्ता को ओ टी पी नम्बर भेजा जा चुका है? खैर। अब बारी विभाग की होती है। फिर चाहे वह म प्र विद्युत कम्पनी हो अथवा नगरपालिका परिषद। वहां से शिकायतकर्ता को फोन आने शुरू हो जाते हैं कि – ‘आपके पास सी एम हेल्प लाईन से ओ टी पी नम्बर आया होगा या आने वाला होगा। जैसे ही आपके पास ओ टी पी आता है आप तत्काल हमें बतायें।’ जबकि सरकार बार-बार आम जनता को ये हिदायत दे रही है कि अपना ओ टी पी नम्बर किसी को भी न बतायें। मगर सम्बंधित विभाग शिकायतकर्ता पर इस बुरी तरह हॉवी होता है कि अन्ततः शिकायतकर्ता अपना ओ टी पी नम्बर उसे बता देता है और विभाग उसका दुरुपयोग करते हुए शिकायतकर्ता की ओर से शिकायत का ऑन लाईन निराकरण भी बता देता है। उधर सी एम हेल्प लाइन भी शिकायत को निराकृत मान लेती है। यही उसकी मंशा भी होती है। इधर शिकायतकर्ता अपने आप को ठगा महसूस करता है। मैं “नर्मदांचल वेब पोर्टल” के माध्यम से ऐसे सभी शिकायतकर्ताओं से अनुरोध करता हूं कि सी एम हेल्प लाइन से प्राप्त अपना गोपनीय ओ टी पी नम्बर किसी के साथ भी शेयर न करें। यदि वास्तव में सम्बंधित विभाग द्वारा आपकी शिकायत का निराकरण कर दिया गया है तब भी आप उक्त ओ टी पी का सदुपयोग करते हुए स्वयं ही ऑन लाइन शिकायत का निराकरण दर्ज करें। अन्यथा शिकायत वहीं की वहीं रहेगी और आप हाथ मलते रह जायेंगे।

विनोद कुशवाहा
एल आई जी / 85
न्यास कॉलोनी
इटारसी .

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