कभी हंसी कभी आंसू थे भवानी भाई जब बोले थे
पंकज पटेरिया/ होशंगाबाद, हंसाते हंसाते रुला देने और रुलाते रुलाते हंसा देने की अद्भुत कला में भवानी दादा का सानी नहीं। यहां से 7 मार्च 1984 को यहां से 7 किलोमीटर दूर ग्राम निटाया में यशस्वी स्व. कवि श्री भवानी प्रसाद मिश्र की उत्सवी उपस्थिति में ऐसे ही क्षण जुड़े थे।
सर्वोदय के इस मित्र मिलन समारोह में भवानी दादा ने मुक्त हंसी के बीच कहा कि कई लोग टमाटर की मानिंद होते हैं जिसे किसी भी सब्जी में मिला दिया जाये जायका बन जाता है यह बात उन्होंने दोस्तों पर टिप्पणी करते हुये कही थी। उन्होंने सलाह दी लोगों को अपने द्वारा किये गये कार्यों के नतीजों की चिंता नहीं करना चाहिये। धरती पर न जाने कब पहला फूल खिला होगा ।मित्र ही एक ऐसा रिश्ता है जिसमें छोटे बड़े की गुंजाईश नहीं।
भारतीय विवाह की चर्चा करते हुये कविवर पं. मिश्र ने कहा इसमें एक विशेषता है। वह यह ग्रो ओल्ड विथ मी जो अन्यत्र दुर्लभ जान पड़ता है।
भवानी भाई ने बड़े आत्मीय ढंग से अपनी जिंदगी की किताबें के कई पिछले सफे पलटे। राष्ट्रीय आंदोलन, 1942 में नागपुर जेल में विनोबा जी से भेंट फिर सेवा ग्राम और अपनी बहन की शादी के वक्त फिल्मी गीत लिखने की लाचारगी की भी वेलाग चर्चा आपने की। और भी गई हंसी भरे आंसू भीगे संस्मरण भवानी जी ने सुनाये।इस अवसर पर विख्यात स्वतंत्रता सेनानी श्री गणेश प्रसाद नायर का अभिनंदन भी किया गया था सर्वोदय विचारक दादा भाई नायर ने परिचय दिया नायर जी ने अपने उद्बोधन में कहा सिनसिअर्टी ऑफ परवज होना जरूरी है हममें अपने उद्देश्य की इमानदारी होनी चाहिए आपने मत व्यक्त किया कि भूमि उत्पादन का बड़ा साधन है लिहाजा भूमि के समान विवरण से समाज की समस्यायें हल हो सकती है कार्यक्रम में सुप्रसिद्ध सर्वोदयी चिंतक श्री काशीनाथ द्विवेदी डॉ. इंदुमति जोशी और कई सर्वोदयी शरीक हुये थे। एक अच्छा और अपनत्व भरा आयोजन था।
पंकज पटेरिया, संपादक शब्द ध्वज
ज्योतिष: सलाहकार वरिष्ठ पत्रकार, कवि
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