– एसडीएम कोर्ट ने माना, सरपंच ने रास्ते पर किया अतिक्रमण
– सरपंच पद के दुरुपयोग कर बनाया अपने परिवार के लिए मकान
– सचिव ने अधिकारिता से बाहर अनुमति देकर किया अपराध
इटारसी। एसडीएम कोर्ट (SDM Court) ने ग्राम पंचायत सोनासांवरी की सरपंच प्रीति पटेल (Sarpanch Preeti Patel) और पंचायत सचिव के खिलाफ शासकीय भूमि रास्ते पर मकान बनाने, और अधिकारिता से बाहर जाकर अनुमति देने के आपराधिक कृत्य का निर्णय पारित किया है। आवेदक चंद्रशेखर भगोरिया की ओर से उनके वकील संतोष शर्मा ने कोर्ट के समक्ष तथ्य रखे थे। अपने आदेश में एसडीएम ने कहा कि जांच में यह पाया गया है कि प्रीति पति दिलीप पटेल पूर्व सरपंच ग्राम पंचायत सोनासांवरी ने ग्राम सोनासांवरी की भूमि खसरा नंबर 118/2, रकबा 0.020 हेक्टेयर भूमि पर किया गया भवन निर्माण अवैध एवं अतिक्रमण है, जो मप्र भू राजस्व संहिता की धारा 248 के प्रावधानों के तहत बेदखल किये जाने योग्य है।
प्रीति पटेल ने सरपंचर पद पर रहते हुए पद का दुरुपयोग कर शासकीय भूमि का दुरुपयोग करने की नीयत से पारित प्रस्ताव अवैध है एवं टाउन एंड कंट्री प्लानिंग के तहत प्रस्तावित 24 मीटर चौड़े रोड पर मकान का निर्माण एवं सचिव द्वारा अधिकारिता से बाहर जाकर मकान निर्माण की अनुमति एवं रास्ता मद की भूमि को आबादी घोषित कराने का प्रस्ताव देकर शासकीय भूमि को खुर्दबुर्द कर अतिक्रमण कराने का आपराधिक कृत्य है। आदेश में अवैध मकान (Illegal house) को हटाने के लिए तहसीलदार को लिखा है साथ ही सचिव और सरपंच द्वारा पद का दुरुपयोग कर अतिक्रमण कराने एवं मकान निर्माण की अवैधानिक अनुमति जारी करने के लिए आपराधिक प्रकरण पंजीबद्ध कराने को कहा गया है। उक्त भूमि को पूर्ववत रास्ता मद में दर्ज कराने हेतु कलेक्टर को प्रस्ताव भेजने के भी आदेश दिये हैं।
ग्रामीण ने की थी शिकायत
ग्राम पंचायत सोनासांवरी के निवासी चंद्रशेखर पिता रामगोपाल भगोरिया ने मामले की शिकायत की थी जिसमें कहा था कि ग्राम सोनासांवरी की सरपंच प्रीति पटेल ने शासकीय रास्ते खसरा नंबर 118 पर अतिक्रमण किया है एवं निर्माण कार्य किया जा रहा है, तथा सामने पीडब्ल्यूडी (PWD) की सड़क है। मामला कई वर्षों से चल रहा है। सन् 2015 में पटवारी ने मौके पर जांच की और शिकायत को सही पाया तथा निर्माण कार्य रोकने का निवेदन किया। एक आवेदन कलेक्टर को दिया था जिसमें उसकी लगानी भूमि के सामने शासकीय रास्ता खसरा 118 है जो शासकीय रास्ते पर अतिक्रमण करने संबंधी था।
जांच में पाया गया कि सरपंच ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए शासकीय रास्ता खसरा नंबद 118, रकबा 1.267 हेक्टेयर में से 0.020 हेक्टेयर भूमि जो शासकीय अभिलेख में रास्ते के रूप में दर्ज है, उसे राजस्व प्रकरण के माध्यम से 2017 में अपर कलेक्टर के न्यायालय में गुमराह करते हुए आबादी भूमि घोषित करा लिया था। उस वक्त भी सरपंच को किसी प्रकार का निर्माण नहीं करने के आदेश थे। लेकिन, सरपंच ने निर्माण कार्य जारी रखा था। अपने बचाव में सरपंच ने शिकायतकर्ता को झूठे और मनगढंत आरोप लगाने वाला बताया और सरपंच को परेशान करने वाला शिकायती प्रवृत्ति का बताया था। कई वर्षों से यह मामला चल रहा था और अब एसडीएम कोर्ट से सरपंच और सचिव के खिलाफ ये आदेश पारित हो गये हैं। देखना होगा कि अब सरपंच और सचिव के अगले कदम क्या होंगे? विभाग उनके खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज करायेगा या दोनों आगे पुन: कानूनी कदम उठाएंगे?