मनुष्यता का विकास ही मनुष्य का विकास है : मोहन भागवत

Post by: Rohit Nage

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बनखेड़ी। गोविन्दनगर (Govindnagar) स्थित भाऊसाहब भुस्कुटे स्मृति लोक न्यास (Bhausaheb Bhuskute Smriti Lok Nyas) में मध्य भारत प्रांत के ग्राम विकास तथा पर्यावरण गतिविधियों के कार्यकर्ताओं के संग नर्मदांचल सुमंगल संवाद (Narmdanchal Sumangal Samvad) हुआ जिसमें मध्य भारत प्रांत के चयनित सौ सामाजिक कार्यकर्ता उपस्थित रहे। कार्यक्रम में संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ( Mohan Bhagwat) एवं निवृतमान सरकार्यवाह भैया जी जोशी (Bhaiya Ji Joshi) ने समग्र ग्राम विकास, गौ संवर्धन, जल तथा पर्यावरण के लिए प्रयासरत संस्थाओं के द्वारा किये जा रहे कार्यों के वृत्तांत को सुना।

भाऊ साहब भुस्कुटे स्मृति लोक न्यास ने संस्कार, शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वरोजगार, जैविक कृषि, पर्यावरण, गौसेवा व संवर्धन आदि क्षेत्रों में किये जा रहे कार्यों तथा मेरा गांव मेरा तीर्थ योजना की विस्तृत जानकारी दी। सरसंघचालक मोहन भागवत ने विकास की भारतीय परिभाषा समझाते हुए कहा कि मनुष्यता का विकास ही मनुष्य का विकास है। केवल आर्थिक साधन और अधिकार प्राप्त कर लेना विकास नहीं कहलाता।

उन्होंने कहा हमारे देश में हजारों वर्षों से खेती की जा रही है पर भूमि बंजर नहीं हुई, पर आज की पद्धति ने अनेक देशों की खेती उजाड़ दी है। हमारी संस्कृति ने कहा है कि व्यक्ति का सुख परिवार के सुख से और परिवार का सुख गांव सुखी होने से आता है तथा गांव जनपद के और जनपद राष्ट्र के सुख से सुखी होता है। अत: हम सभी ने अपनी परंपरा का महत्व समझ समाज की सकारात्मक ऊर्जा को साथ ले ग्राम विकास और पर्यावरण के कार्य को करना ही होगा।

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