इस वर्ष छह दिनी रहेगा दीपावली पर्व, धनतेरस से होगी शुरूआत

इस वर्ष छह दिनी रहेगा दीपावली पर्व, धनतेरस से होगी शुरूआत

धनतेरस पर हमारे आयुष्य हमारी निरोगी काया बनी रहे, इसकी पूजन होती है
मदन शर्मा नर्मदापुरम। महालक्ष्मी (Mahalaxmi) के आगमन से पहले शहर सजकर तैयार है। गली-मोहल्लों से लेकर बाजार और मुख्य चौराहे रंग-बिरंगी रोशनी से जगमग होने लगे हैं। दीपावली (Deepawali) दीपोत्सव (Deepotsav) पर्व में इस बार धनतेरस (Dhanteras) को लेकर संशय बना हुआ है।
दरअसल तिथियों के हेर-फेर और अलग-अलग पंचांगों (Panchang) की गणना में भेद है। ऐसे में आचार्य सोमेश परसाई (Acharya Somesh Parsai) ने बताया कि दीपावली के त्योहार को लेकर किसी भी प्रकार का संशय ने पालें। उन्होंने बताया कि दीपावली जीवन में प्रकाश लेकर आता है और यह पर्व इस वर्ष छह दिवसीय रहेगा। आचार्य परसाई ने बताया कि दीपावली का महोत्सव हमारे अंध-तमस की निवृत्ति का महोत्सव है। चूंकि बीच में रात्रिकालीन व्यवस्था में ग्रहण का भी पर्व आ चुका है। दीपावली पर्व की शुरूआत 22 अक्टूबर को धनतेरस से हो रही है। इस दिन तेरस की रात्रि में महोत्सव मनाया जाएगा। धनतेरस शनिवार को शाम 4 बजे के बाद आ जाएगी। इस दौरान धनादि की पूजन करना चाहिए। इसी दिन प्रदोष भी है, धनतेरस पर वस्तुत: औषधि के देवता धनवंतरी (Deity Dhanvantari) का पूजन होता है। हमारे आयुष्य का पूजन है, हमारी निरोगी काया बनी रहे इसका पूजन है। हमारा मैनेजमेंट (Management) वर्षभर कैसा हो इसका पूजन है। वस्तुत: भगवान धनवंतरी की उत्पत्ती समुद्र मंथन से हुई है।

23 को लगेंगे यम के नाम के दीपक

आचार्य सोमेश परसाई ने बताया कि 23 अक्टूबर को रूप चतुर्दशी व नरक चतुर्दशी और हनुमान जयंती पड़ रही है। चूंकि हनुमान जयंती दक्षिण प्रदेश में मनाई जाती है। उत्तर भारत में यह पर्व नहीं मनाया जाता लेकिन इस दिन सूर्य उदय (Sun rise) के पहले स्नान करके हनुमान जी के दर्शन जो भक्त करता है उसको कभी भी नरक की यात्रा नहीं भोगनी पड़ती है। रूप चतुर्दशी को ही यम के 14 नामों से 14 दीपक लगाए जाते हैं। एक दीपक चौमुखी बांस की डलिया में रखकर चावल, कुछ उड़द के दाने व दही रखकर चौराहे पर रखने से घर की आधि-व्याधी का हरण होता है।

24 को दीपावली का पर्व

आचार्य परसाई ने बताया कि हमारे जीवन का मूख्य समारोह दीपावली है। इस दिन ग्रह लक्ष्मी को भी टीका लगाना चाहिए। उन्होंने बताया कि दीपावली पर ध्यान रखें कि जो लाइटिंग (Lighting) लगाना है वह लगाईए लेकिन इसमें भारतीय सभ्यता देखने को मिले यानी मिट्टी के दीयों की दीपमालिका जिसमें लाई डालकर भगवती को उतारकर घर आंगन में सजाना चाहिए जिससे अंध- तमस का नाश होता है। परिवार में शांति आती है। इसके साथ ही मिट्टी के दीपक में धान की लाई डालने से यज्ञ भी हो जाता है। वहीं डुबलियों में सप्त अनाज को भरकर भगवती के सामने रखने से परिवार धन धान्य से परिपूर्ण होता है।

25 को सूर्यग्रहण (Solar eclipse)

24 एवं 25 अक्टूबर की दरम्यानी रात 4.41 बजे प्रात: से ग्रहण का सूतक लग जाएगा। ग्रहण का स्पर्श दिन में 4.41 बजे ग्रहण रहेगा। आचार्य सोमेश परसाई ने बताया कि कई पंचांगों में ग्रहण सूर्यास्त के बाद भी रहेगा। लेकिन ग्रहण को दृष्य पर्व माना गया है इसलिए अगर सूर्यास्त अस्त हो गया तो ग्रहण नहीं रहेगा। इसलिए बनारस पंचांग के अनुसार सूर्यास्त के साथ ही ग्रहण की निवृत्ति हो जाएगी। वहीं उन्होंने बताया कि अन्नकूट का पर्व 26 अक्टूबर और 27 अक्टूबर को भाईदूज का पर्व रहेगा। आचार्य श्री ने बताया कि भाईदूज पर यमुना स्नान का बहुत बड़ा महत्व है। अगर भाईदूज के दिन भाई बहन के घर भोजन करता है, तब भी उसके घर लक्ष्मी आती है। उन्होंने कहा कि दीपावती का त्योहार उत्साहपूर्वक मनाएं।

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AUTHORRohit

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