बच्चों को खुशी बांटने निकल पड़े हैं चार नवयुवक
इटारसी। अचानक बाजार के बंद होने से बच्चों की पसंद की नूडल्स (Noodles), आइसक्रीम (Ice Cream), बिस्किट (Biscuits), चिप्स (Chips) जैसी बालपसंद सामग्री का मिलना बंद होना उन बच्चों के लिये परेशानी का कारण बना जो अत्यंत गरीब परिवार से हैं। शाम को लौटते हुये मजदूर पालकों द्वारा बच्चों के लिये लाई जाने वाली सामग्री लॉकडाउन (Lockdown)में लॉक हो गई है। सामाजिक संस्थाओं द्वारा सेवाभाव में अनेक मदद की जा रही है लेकिन यह मदद मुख्य रूप से व्यस्कों के लिये ही होती है।
कोविड विपदा के कारण मासूमों के चेहरे पर छोटी सी खुशी लाने युवाओं के एक ग्रुप ने पहल की है। आर्डिनेंस फैक्टी इटारसी में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे राहुल सराठे (Rahul Sarathe), एक्सीलेंस कॉलेज भोपाल (Excellence College Bhopal) से पीजी कर रहे आदित्य पाराशर (Aditya Parashar), मेडिकल छात्र अमन गुप्ता (Aman Gupta), वर्क फ्रॉम होम कर रहे नव नियुक्त इंजीनियरिंग मृदुल मालवीय (Mridul Malviya) ने फीड फॉर नीड कार्यक्रम की शुरूआत की है। आदित्य पाराशर ने बताया कि वे बच्चों की रुचि के अनुसार चिप्स, चॉकलेट, नूडल्स के छोटे पैक लेकर प्रवासी मजदूरों के आश्रय, पहुंचकर उनके बच्चों को देते हैं। हाथ सेनिटाईज करवाकर पहले मास्क वितरित करते हंै। मास्क को लगाने का महत्व बताते हैं फिर ये सामग्री उन्हें देते हैं।
अमन गुप्ता का कहना है कि लंबे समय तक चलने वाले इस जनता कफ्र्यू के दौरान बच्चों की रुचि की तरफ भी ध्यान दिये जाने की जरूरत महसूस हुई। इसी दिशा में हमारा यह छोटा सा प्रयास है। सफलता को देखते हुये इस समूह में अन्य फ्रेन्ड्स जबलपुर (Jabalpur), घोड़ाडोंगरी (Ghodongri), होशंगाबाद (Hoshangabad) में भी कार्यक्रम का विस्तार कर रहे हैं। राहुल सराठे ने बताया कि बड़े व्यक्ति तथा उन परिवारों के बच्चे तो अपनी पसंद की सामग्री किसी प्रकार प्राप्त कर ही ले लेते हंैं लेकिन कमजोर वर्ग के बच्चों की रुचियों का भी ध्यान रखा जाये यह इस कार्यक्रम का उद्देश्य है। मुदुल मालवीय ने बताया कि कायक्रम के टारगेट ग्रुप में बच्चों को शामिल करने पर अनेक नौकरीपेशा लोगों ने इसमें आर्थिक एवं सामग्री मदद की इच्छा बताई है।