मंडी प्रशासन, किसान और व्यापारियों के मध्य बनी सहमति
इटारसी। व्यापारियों द्वारा कम रेट पर धान की खरीदी करने पर आज कृषि उपज मंडी (Agricultural produce market) में अपनी धान बेचने आये किसान नाराज हो गये। किसानों ने अपना विरोध दर्ज कराया और चक्काजाम की तैयारी करने लगे। इसी दौरान मंडी प्रशासन से बात हुई और एसडीएम तथा मंडी में भारसाधक अधिकारी एमएस रघुवंशी (Officer in charge MS Raghuvanshi) ने पहुंचकर किसानों और व्यापारियों से बातचीत की और मामले का हल निकलवाया।
कम भाव को लेकर नाराज हुए किसानों ने कृषि उपज मंडी इटारसी के दफ्तर का घेराव कर अपनी मांगों के समर्थन में पहले जमकर नारेबाजी की और मंडी गेट पर ट्रैक्टर ट्राली खड़े कर रास्ते को जाम कर दिया। सूचना मिलने के बाद मौके पर पहुंची पुलिस और प्रशासन ने किसानों को जाम खुलवा कर बातचीत के लिए मंडी के दफ्तर में बुलाया। व्यापारियों और मंडी प्रशासन के साथ किसान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष दर्शन सिंह चौधरी के नेतृत्व में पहुंचे किसानों ने अपनी बात प्रशासन के समक्ष रखी।
दरअसल किसान मंडी (Kisan Mandi) में कम भाव पर खरीदी जा रही धान को लेकर ज्यादा भाव की मांग कर रहे थे जो इन दोनों दिल्ली और हरियाणा की मंडी में बिक रही है। वहीं दूसरी परेशानी भुगतान को लेकर थी। कृषक आरटीजीएस से पूरे 2,00,000 रुपए के भुगतान की मांग कर रहे थे जिसे भी प्रशासन ने उचित मांग मानते हुए भुगतान की अनुमति दे दी। हालांकि दो लाख के भुगतान में कुछ बैंकिंग समस्या सामने आ रही थी, जिस पर प्रशासन ने बैंक अधिकारियों से समन्वय बनाकर भुगतान समस्या को निराकृत किया है। किसानों ने अपनी दिक्कतों को प्रशासन के समक्ष रखा और समस्याओं का निराकरण होने पर प्रशासन का आभार भी जताया है। इस दौरान एसडीएम मदन सिंह रघुवंशी (SDM Madan Singh Raghuvanshi), थाना प्रभारी राम स्नेही चौहान (Police Station Incharge Ram Snehi Chauhan), मंडी प्रभारी सचिव केसी बामलिया (Mandi in-charge secretary KC Bamalia), यातायात प्रभारी अशोक अशोक बरवड़े (Traffic in-charge Ashok Ashok Barwade) सहित बड़ी संख्या में मंडी के व्यापारी किसान और प्रशासनिक अमला मौजूद रहा।
इधर क्रांतिकारी किसान मजदूर संगठन के जिलाध्यक्ष हरपाल सिंह सोलंकी ने कहा कि संगठन के यूथ विंग जिलाध्यक्ष अरुण पटेल एवं इटारसी तहसील अध्यक्ष बृजेश चौरे ने भी बैठक में अपनी बात रखी है। उन्होंने कहा कि व्यापारी नगद खरीदी के लिए तैयार नहीं थे और यदि खरीदी भी कर रहे थे तो 300 से लेकर 400 रुपए तक कम में खरीदी कर रहे थे। बैठक में आपसी सामंजस्य बनाकर उचित रेट पर खरीदी का निर्णय लिया जिस पर किसान भी तैयार हो गए।