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हॉकी खिलाडिय़ों को बेसब्री से है एस्ट्रोटर्फ लगने का इंतजार

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  • – गांधी स्टेडियम के धूल भरे मैदान में अभ्यास कर रहे नौनिहाल
  • – चट मैदान पर अभ्यास से एस्ट्रोटर्फ पर खेलना होता है मुश्किल
  • – एस्ट्रोटर्फ को मंजूरी मिल चुकी है, बस काम शुरु होना बाकी है

इटारसी। वर्षों से एस्ट्रोटर्फ (Astroturf) की प्रतीक्षा कर रहे नगर के हॉकी खिलाडिय़ों (hockey players) को उस वक्त बेहद खुशी मिली जब उनको पता चला कि इटारसी (Itarsi) के लिए एस्ट्रोटर्फ को मंजूरी मिल गयी है। इस बात को भी करीब छह माह से अधिक का वक्त बीत गया है। कई जगह स्थान तलाशने के बाद आखिरकार गांधी मैदान (Gandhi Maidan) में ही एस्ट्रोटर्फ लगने का निर्णय हुआ और प्रक्रिया प्रारंभ भी हो गयी। अब खिलाडिय़ों को बेसब्री से एस्ट्रोटर्फ का इंतजार है। आचार संहिता के कारण एस्ट्रोटर्फ लगने की प्रक्रिया रफ्तार पकड़ते रह गयी और इटारसी के नौनिहालों को उसी चट मैदान में हॉकी का अभ्यास करना पड़ रहा है, जो अब बीते जमाने की बात हो गयी है।

नयी हॉकी रफ्तार वाली है और यह एस्ट्रोटर्फ पर ही खेली जाती है। इसके बिना हॉकी का खिलाड़ी पिछड़ जाता है। लेकिन, शहर के खिलाडिय़ों का इंतजार लंबा हो रहा है। जब मंजूरी नहीं मिली थी तो केवल एस्ट्रोटर्फ की मांग थी, मंजूरी मिलने के बाद का इंतजार ज्यादा कठिन लग रहा है। हॉकी कोच कन्हैया गुरयानी (hockey coach Kanhaiya Gurayani) कहते हैं कि भविष्य टर्फ मैदान में ही है। कोई भी मौसम रहे, खिलाडिय़ा के अभ्यास में निरंतरता रहती है। दस दिसंबर को बाद प्रगति की उम्मीद उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार आचार संहिता के कारण सभी काम बंद हैं और किसी विभाग में फाइलें आगे नहीं बढ़ रही हैं। पूरा प्रशासकीय अमला चुनावों में व्यस्त रहा है। 3 दिसंबर को आचार संहिता खत्म होने के बाद एक सप्ताह में कामकाज पटरी पर लौटने की उम्मीद है, उसके बाद एस्ट्रोटर्फ की फाइल बढऩे के आसार हैं।

सूत्रों के अनुसार एक कमेटी बनेगी, फाइल मंत्रालय जाएगी, वहां से अनुमति के बाद एस्ट्रोटर्फ की प्रक्रिया में तेजी आने की संभावना है। सवा सौ बच्चे आते हैं हॉकी खेलने ऐतिहासिक गांधी मैदान पर पांच वर्ष से 30 वर्ष तक के करीब सवा सौ बच्चे रोज हॉकी खेलने, सीखने, हुनर निखारने आते हैं। लेकिन, चट मैदान पर न सिर्फ धूल उनको परेशान करती है, वरन् वे खेल को रफ्तार भी नहीं दे पाते। धूल के कारण गेंद भी तेज नहीं चलती है। आधुनिक हॉकी एस्ट्रोटर्फ पर खेली जाती है। चट मैदान पर खेलने वाले बच्चे टर्फ मैदान पर अपेक्षित प्रदर्शन नहीं कर पाते हैं, इसलिए एस्ट्रोटर्फ समय की मांग है और उसी में भविष्य भी है। टेंडर होने से पहले लग गयी आचार संहिता एस्ट्रोटर्फ की स्वीकृति के बाद तमाम कागजी कार्यवाही होने को थी।

बताया जा रहा था कि खेल मंत्रालय में फाइल पहुंचने के बाद तमाम औपचारिकताएं पूर्ण हो चुकी हैं और बस टेंडर प्रक्रिया प्रारंभ होने वाली है। जिस दिन यह जानकारी मिली थी, उसके दूसरी दिन ही मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में विधानसभा चुनावों की घोषणा हो गयी और आचार संहिता लगने से सारी प्रक्रिया वहीं पर थम गयी है। अब खिलाडिय़ों को आचार संहिता समाप्त होकर प्रक्रिया शुरु होने का इंतजार है।

Rohit Nage

Rohit Nage has 30 years' experience in the field of journalism. He has vast experience of writing articles, news story, sports news, political news.

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