नर्मदापुरम। भारतीय मौसम विभाग (Indian Meteorological Department) द्वारा जारी मौसमी अनुमान के अनुसार शीतकालीन मौसम में अधिकांश भागों में सामान्य से न्यूनतम तापमान होने की संभावना है। सभी जिला तथा संबंधित सभी विभागों द्वारा संभावित शीतलहर (Cold Wave) (शीतघात) के प्रकोप को गंभीरता से लेते हुये इससे होने वाली क्षति को कम करने के लिये विभागीय एवं जिला स्तर पर सभी आवश्यक कदम उठाए जायें।
इस संबंध में गृह विभाग द्वारा विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किये गये हैं। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (National Disaster Management Authority) के निर्देशानुसार जिला शीतलहर (शीतघात) कार्य योजना तैयार की जाये। प्रत्येक स्तर (जिला, तहसील, ब्लॉक, विभाग) पर शीतलहर प्रबंधन के लिये एक नोडल अधिकारी नामांकित किया जाये। भारतीय मौसम विज्ञान द्वारा जारी शीतलहर चेतावनी को जिला कमांड और नियंत्रण केंन्द्र के माध्यम से जन सामान्य तथा संबंधित विभागों तक पहुंचाने के लिये आवश्यक व्यवस्था की जाये।
शीत लहर से बचाव के लिए अपनाई जाने वाली सावधानियों से संबंधित सुझाव का प्रचार-प्रसार होर्डिंग तथा प्रिंट मीडिया, सोशल मीडिया, स्थानीय केबल टीवी नेटवर्क, एफएम, सामुदायिक रेडियो से किए जाने की व्यवस्था की जाये। बेघर/प्रभावित लोगों को आश्रय गृहों में स्थानांतरित किया जाये। बेसहारा एवं बेघर व्यक्ति सड़क /मैदान में पाये जाने पर अलाव की व्यवस्था की जाये। स्वयंसेवी संगठनों के माध्यम से कम्बलों की व्यवस्था कर उन्हें वितरित किया जाये। स्कूल तथा शैक्षणिक संस्थाओं का कार्य समय, भारतीय मौसम विज्ञान द्वारा शीतलहर से संबंधित दी गई चेतावनी अनुसार एवं विधिवत स्कूल खुलने के समय में परिवर्तन करने के लिए आवश्यक आदेश जारी किए जायें। जिले में स्थित सभी शासकीय अस्पतालों में शीत लहर प्रभावितों के उपचार के लिये विशिष्ट कार्य योजना बनाई जाये।
शीतलहर के दौरान क्या करें सर्दियों के कपड़े पर्याप्त मात्रा में रखें। कपड़ों की कई परतें पहनना भी लाभदायक रहता है। आपातकालीन आपूर्तियों के लिए सभी जरूरी सामान तैयार रखें। जितना संभव हो, घर के अंदर रहें। ठंडी हवा से बचने के लिए कम से कम यात्रा करें। अपने शरीर को सुखाकर रखें। यदि कपड़े गीले हो जाएं, तो उन्हें तुरंत बदलें। इससे शरीर की उष्मा बनी रहेगी। मौसम की ताजा जानकारी के लिए रेडियो सुनें, टीवी देखें, समाचार पत्र पढ़ें। नियमित रूप से गर्म पेय पिएं। बुजुर्गों और बच्चों का विशेष ख्याल रखें।
शीतदंश के लक्षणों जैसे उंगलियों, पैर की उंगलियों, कानों की लोब और नाक की नोक पर सुन्नता, सफेदी या पीलेपन के प्रति सजग रहें। शीतदंश से प्रभावित हिस्से की मालिश न करें। इससे अधिक नुकसान हो सकता है। शीतदंश से प्रभावित शरीर के हिस्सों को गुनगुने पानी में डालें। कंपकंपी को नजरअंदाज न करें, यह एक महत्वपूर्ण अग्रिम संकेत है कि शरीर गर्मी खो रहा है। कंपकंपी महसूस होने पर तुरंत घर लौटें।