डीजल के बढ़े दाम ने छीन ली महत्वपूर्ण सिंचाई परियोजना
इटारसी। डीजल (Diesel) के लगातार बढ़े दामों ने करीब एक हजार किसानों के समक्ष रोजी-रोटी का संकट खड़ा कर दिया है। करीब डेढ़ दशक पूर्व प्रारंभ बारधा उद्वहन सिंचाई योजना (Bardha Irrigation Scheme) बंद होने की कगार पर है। इस वर्ष अत्यधिक खर्चीला बताकर जल संसाधन विभाग (Department of Water Resources) ने इस योजना से अपने हाथ खींच लिए हैं। इटारसी से लगभग 50 किलोमीटर दूर ग्राम बारधारैयत के करीब एक हजार किसान लगभग 90 हेक्टेयर क्षेत्र में फसल की तैयारी करके बैठे हैं। पिछली फसल मक्के की बिक्री के बाद खाद-बीज खरीदकर जेब से पैसा खर्च करके खेत तैयार कर पानी आने का इंतजार कर रहे थे कि जल संसाधन विभाग ने इस योजना के संचालन में असमर्थता बताकर पानी देने से इनकार कर दिया। ऐसे में किसानों का कहना है कि मूलत: कृषि (Krashi) पर निर्भर हम किसानों के समक्ष रोजी-रोटी का संकट आ गया है।
सिंचाई योजना (Irrigation scheme)पर एक नज़र
बारधा उद्वहन सिंचाई योजना वर्ष 2007-08 में तवा नदी पर तवा परियोजना के डूब क्षेत्र होने से लिफ्ट कर नहर द्वारा सिंचाई करने प्रारंभ कर 130 हेक्टेयर में सिंचाई सुविधा दी गयी थी। यहां 75 हार्सपॉवर के चार व्हीटी पंप लगे हैं, तीन पंपों से 233 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई प्रस्तावित थी। एक पंप स्टैंडबाय लगा है। विद्युत व्यवस्था न होने से यहां मोबाइल ट्रक पर 500 केवीए का जेनरेटर से संचालन होता है। इस योजना पर उस वक्त 5.958 लाख रुपए का खर्च आया था। इस योजना में बिजली को खर्चीला मानकर जेनरेटर के माध्यम से संचालन प्रारंभ किया था। इस योजना से वर्ष 2020-21 में 90 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की गई थी जिसमें लगभग 45 लाख रुपए का व्यय आया था।
डीजल के दाम बढ़ने से संकट
जल संसाधन विभाग के कार्यपालन यंत्री आईडी कुमरे (Executive Engineer ID Kumre) ने विभाग के आला अधिकारियों को प्रतिवेदन भेजकर कहा कि इस वर्ष डीजल के दामों में 1.50 गुना वृद्धि होने से अब 60 लाख रुपए का खर्च आने की संभावना है जो कि अत्याधिकहोने के कारण अत्यंत खर्चीला है। 90 हेक्टेयर क्षेत्र में औसत पैदावार 25 क्विंटल/हेक्टेयर की दर से 2250 क्विंटल पैदावार होगी जिसकी कीमत लगभग 45 लाख आकलित है एवं व्यय लगभग 60 लाख रुपए आयेगा। इसके अतिरिक्त किसानों की लागत लगभग 20 लाख रुपए अलग से होगी। इस स्थिति में योजना को वर्तमान व्यवस्था में संचालित करना व्यवहारिक नहीं है।
ये कहते हैं किसान
हमारी इसी से रोजी-रोटी चलती है, हमने विधायक, कलेक्टर, प्रभारी मंत्री और जल संसाधन मंत्री तक गुहार लगायी है। हर जगह से मायूसी मिली है। हमारे और बच्चों के समक्ष भुखमरी का संकट हो जाएगा।
चिंरोजीलाल यादव, किसान
अचानक योजना बंद कर देने से किसान ठगा सा रह गया है। उसने कर्ज लेकर और मक्का बेचकर खाद, बीज खरीदा, खेत तैयार किये और बिना सूचना दिये योजना बंद कर दी है। अब रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है।
रूपेश यादव, किसान
हम बच्चों को कैसे पालेंगे, यह चिंता सताने लगी है। सरकार कहती है कि किसानों को परेशानी नहीं होने देंगे। क्या ऐसे ही किसानों की सरकार है जो हमारी रोजी-रोटी छीन रही है।
शिवरती, गृहणी ग्राम बारधारैयत
सरकार ने हम किसानों के साथ धोखा किया है। सभी जानते हैं कि हमारे पास खेती के अलावा परिवार का पालन-पोषण करने के लिए कोई अन्य साधन नहीं है। ऐसे में योजना बंद करने से हमारे सामने भूखे मरने की नौबत आ जाएगी।
श्रीराम, किसान बारधारैयत
हमने मक्का की फसल बेचकर उसी पैसे से खाद-बीज खरीदा और खेत तैयार कराये। करीब एक हजार किसान और खेतीहर मजदूर बेरोजगार हो जाएंगे। सरकार को हमारी परेशानी समझना चाहिए।
पप्पू भुजवरे, किसान बारधारैयत
इनका कहना है…
डीजल के दामों में वृद्धि होने के कारण यह योजना अत्यंत खर्चीली हो गया है। इस स्थिति को देखते हुए योजना को वर्तमान व्यवस्था डीजल चलित जेनरेटर से संचालित किया जाना व्यवहारिक नहीं है।
आईडी कुमरे (ID Kumre, Executive Engineer Tawa Project Department)
यह हमारे कार्यकाल की योजना है, जो किसानों के हित के लिए प्रारंभ की गई थी। बंद करने से तो किसानों की आजीविका के साथ खिलवाड़ है। अधिकारियों को इस तरह से अचानक योजना बंद नहीं करना चाहिए। कम से कम इस वर्ष तो पानी दें, अगले सीजन के लिए योजना बनाएं कि इसे कैसे संचालित किया जाएगा। पूर्व में ही अधिकारियों को सोचना चाहिए था कि यह योजना कैसे संचालित होगी, रेवेन्यू कहां से आएगा। इस निर्णय से तो सरकारी योजनाओं पर ही प्रश्न चिह्न लग जाएगा।
पं.गिरिजाशंकर शर्मा (Pt. Girijashankar Sharma, former MLA)