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जन विश्वास बिल व्यापारियों में विश्वास जगायेगा, मध्यस्थता कानून से दूर होंगेे विवाद

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इटारसी। केन्द्र सरकार (Central Government) ने अभी हाल ही में जन विश्वास (प्रावधानों में संशोधन) विधेयक 2023 मानसून सत्र के दौरान लोकसभा (Lok Sabha) में पारित कर दिया। इस विधेयक का उद्धेश्य रहन-सहन एवं व्यापार करने में सुगमता को बढ़ाना है। कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) (Confederation of All India Traders (CAT)) के मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) अध्यक्ष भूपेन्द्र जैन (Bhupendra Jain) एवं वरिष्ठ उपाध्यक्ष नर्मदासंभाग विजय राठी (Vijay Rathi) ने कहा कि व्यापारियों एवं उधमियों के बीच विश्वास जगाने में जन विश्वास बिल काफी लाभकारी साबित होगा।

इस विधेयक में 19 मंत्रालयों/विभागों द्वारा प्रशासित 42 केन्द्रीय अधिनियमों में 183 प्रावधानों को अपराध मुक्त करने का प्रस्ताव है। विधेयक का मुख्य उद्धेश्य ऐसे छोटे अपराधों को अपराध की श्रेणी से बाहर करना है जिनसे सार्वजनिक हित अथवा राष्ट्रीय सुरक्षा को कोई खतरा नहीं है और साथ ही उनके स्थान पर नागरिक दण्ड या प्रशासनिक कार्यवाही की व्यवस्था करना है। राठी ने बताया कि कैट ने सरकार से जीएसटी के साथ ही व्यापारियों पर लागू होने वाले अन्य कानूनों की नए सिरे से समीक्षा कर व्यापारियों के लिए जेल का प्रावधान हटानें की मांग की है।

समाधान पोर्टल से निकलेगा रूका हुआ पैसा

राठी ने बताया कि व्यापार उधार पर चलता है। इसमें कई बार व्यापारी का पैसा दूसरे कारोवारी के पास अटक जाता है। पैसा नहीं लौटाने पर विवाद उत्पन्न होते है। इन विवादों को खत्म करने के लिए केन्द्र ने एमएसएमई कानून में संशोधन किया है। व्यापारियों के लिये सरकार समाधान पोर्ट लेकर आई है। इसके अंतर्गत उन्हें उधम आधार में पंजीकरण कराना होगा। व्यापारियों को 45 दिन के भीतर खरीदेे गए सामान की रकम लौटानी हागी। इस अवधि में रकम ना लौटाने पर दूसरा व्यापारी समाधान पोर्टल पर इसकी शिकायत कर सकता है। शिकायत के बाद से 90 दिन के भीतर समाधान पोर्टल को इस मामले का निपटारा करना होगा। इस बीच पीडित व्यापारी को फंसी हुई रकम का मूल सहित 3 गुना ब्याज देना होगा।

Rohit Nage

Rohit Nage has 30 years' experience in the field of journalism. He has vast experience of writing articles, news story, sports news, political news.

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