मदन शर्मा नर्मदापुरम। हमारी संस्कृति-परंपरा में सुहागिन स्त्री के जीवन में उसका पति सबसे महत्वपूर्ण स्थान रखता हैं। यह उस सुहागिन स्त्री का आगाध प्रेम ही है कि वह चतुर्थी को पति की दीर्घायु-कल्याण के लिये आस्था-आराधना के साथ करवा चौथ व्रत (karva chauth) करती है और चंद्रमा (moon) को अघ्र्य देकर मंगलकामना करती है कि उसका सोहाग बना रहे तथा दाम्पत्य जीवन हमेशा खुशहाल रहे। आचार्य सोमेश परसाई (Acharya Somesh Parsai) ने बताया कि पतिव्रत धर्म की कसौटी पर आना ही करवा चौथ व्रत है। उन्होंने बताया कि करवाचौथ एक तरह से भगवान श्री गणेश की आराधना हैं। आयुष की प्रार्थना है। पतिव्रता नारी करवाचौथ के दिन चंद्र के दर्शन के उपरांत कुछ ग्रहण करती हैं। उस नारी का यह तप हैं, क्योंकि सती अनसुइया ने अपने पतिव्रता धर्म के कारण ब्रह्मा (Brahma),विष्णु (Vishnu) और रुद्र (Rudra) को दूध पीता बच्चा बना दिया था। इसलिये पतिव्रत धर्म इतना श्रेष्ठ हैं। मानो कोई योग हो रुग्ण हो तो वह अपनी परिस्थिति अनुसार व्रत रख सकता हैं। आचार्य श्री ने बताया कि करवाचौथ के दिन चंद्रमा को जो अघ्र्य दिया जाता है यानी चंद्रमा को अघ्र्य देने मात्र से पति की आयु बढ़ जाती हैं। वहीं इस दिन भूखे रहने से व्रत धारण करने वाली महिला का स्वास्थ्य भी उत्तम होता है। इसलिये इस व्रत को करना चाहिए। आचार्य श्री ने बताया कि करवा चौथ व्रत प्रदर्शन का रूप न हो यह व्रत दर्शन का रूप हो। करवा चौथ के दिन भगवान गणेश (Lord Ganesha), भगवान शिव (Lord Shiva) की आराधना होना चाहिए। इस दिन श्रृंगार कर ही पूजन करना चाहिए। उन्होंने बताया कि श्रंगार करने के बाद भक्ति की शक्ति की प्राप्ति के लिये भी प्रयत्न करना चाहिए। यानी जितनी अधिक भक्ति करेंगे उतनी अधिक शक्ति मिलेंगी। उन्होंने बताया कि नियम-पूजन के साथ करवा चौथ का व्रत करने से फल मिलता है। साथ ही उसका पति आयुष होता है ।