इटारसी। तमाम वादों के बावजूद गणेश उत्सव पर प्लास्टिक ऑफ पेरिस की गणेश प्रतिमाएं बाजार में जमकर बिकीं। कई दुकानदारों ने मिट्टी की प्रतिमा बताकर पीओपी की प्रतिमा खपा दीं। इस दौरान प्रशासन की टीम ने एक बार भी बाजार में जाकर जांच नहीं की थी कि बाजार में पीओपी तो नहीं बिक रही। अब दीवाली में भी यह कारोबार जमकर चलेगा, क्योंकि बाहर से पीओपी की प्रतिमा लाकर बेचने वाले बेफिक्र हैं और स्थानीय मूर्तिकारों में चिंता है कि उनका रोजगार प्रभावित हो रहा है।
प्रशासन नहीं दिखाता है सख्ती
सरकार लोकल फॉर वोकल का लाख ढिंडोरा पीटे, मैदानी अमला जब तक ईमानदारी और सख्ती नहीं दिखायेगा, सरकारी मंशा फलीभूत नहीं होगी। गणेशोत्सव पर यह देखा भी गया है और यह अनदेखी जारी रहती है तो जाहिर है, दीवाली पर भी दुकानदार बाहर से पीओपी की प्रतिमाएं लाकर बेचेंगे। इन हालात में स्थानीय कलाकार जो मिट्टी की लक्ष्मी प्रतिमाएं तैयार कर रहे हैं, वे चिंतित हैं, क्योंकि इससे उनका रोजगार प्रभावित हो रहा है। प्रशासन पूर्व से ही अपना मुखबिर तंत्र सक्रिय करे और पीओपी की प्रतिमाओं का पता लगाकर बाजार में आने से पूर्व ही जब्त कर ले तो स्थानीय कलाकारों को राहत मिल सकती है। एक बार प्रतिमा बाजार में आ गई तो फिर कार्रवाई भी मुश्किल होने लगती है। ऐसे लोगों को जब आर्थिक नुकसान होगा तो आगामी समय में वे भी मिट्टी की प्रतिमाएं बेचने लगेंगे।
मिट्टी की प्रतिमा बना रहे कलाकार
दीपावली पर्व के लिए मूर्तिकार मिट्टी से लक्ष्मी प्रतिमाओं का निर्माण करने लगे हैं। इनमें सबसे अधिक संख्या प्रजापति समाज की है। इन परिवारों द्वारा हर साल की तरह इस साल भी दीपावली पर्व के लिए पारंपरिक मूर्तिकारों के द्वारा मिट्टी की प्रतिमा बनाने का कार्य किया जा रहा है। लेकिन दीपावली के त्योहार के एक-दो दिन पहले ही दूसरे शहरों के साथ ही आसपास के क्षेत्र से अचानक बाजार में आने वाली प्लास्टर ऑफ पेरिस से बनी लक्ष्मी प्रतिमाओं की दुकान लग जाने की वजह से कई पीढिय़ों से मिट्टी की सुंदर प्रतिमा बनाकर बेचने वाले मूर्तिकारों के सामने आर्थिक संकट बढ़ता जा रहा है। एनजीटी ने प्लास्टर ऑफ पेरिस की प्रतिमाओं पर प्रतिबंध लगाया है। बावजूद इसके हर साल दीपावली के त्योहार के एक दिन दो दिन पहले ही ऐनवक्त पर पीओपी की प्रतिमाएं बड़ी तादात में अचानक बाजार में बिकने आ जाती हैं जिससे मिट्टी से प्रतिमाएं बनाने वाले पारंपरिक मूर्तिकारों के परिवारों को आर्थिक संकट झेलना पड़ रहा है। प्लास्टर ऑफ पेरिस से बनी प्रतिमाएं मिट्टी से बनी प्रतिमाओं से कीमत में सस्ती होती हैं, जिससे अधिकांश लोगों के द्वारा पीओपी से निर्मित प्रतिमा की खरीदारी की जाती है।
आर्थिक संकट झेल रहे स्थानीय कलाकार
मिट्टी से निर्मित प्रतिमाओं की बिक्री पर विपरीत असर पड़ता है और वे कम बिकती हैं। शहर में और आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में मूर्तिकारों के परिवारों को मूर्तियों का व्यवसाय सही ढंग से नहीं चल पाने की वजह से पिछले 4 सालों से हर साल आर्थिक रूप से संकट का सामना करना पड़ रहा है। प्रशासन को चाहिए कि साल भर में पढऩे वाले प्रमुख तीज त्योहारों के पहले प्लास्टर ऑफ पेरिस से बनी प्रतिमाओं के कारखाने और उनकी बिक्री पर सख्ती से रोक लगनी चाहिए, ताकि मिट्टी से प्रतिमाएं बनाने वाले पारंपरिक मूर्तिकारों के की शिल्प कला को सुरक्षित किया जा सके। दीपावली को अभी लगभग 1 सप्ताह का समय है। शहर के कुछ स्थानों के साथ ही आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में भी पारंपरिक मूर्तिकारों के परिवारों के द्वारा मिट्टी से लक्ष्मी जी की प्रतिमाओं को बनाने का कार्य तेजी से किया जा रहा है। इस बार भी उनके सामने पीओपी से निर्मित प्रतिमा अचानक बाजार में बिकने आ जाने की आशंका से चिंता है, क्योंकि पारंपरिक मूर्तिकारों की मिट्टी से बनी प्रतिमाएं काम बिकती हंै और वह आर्थिक तंगी का शिकार हो रहे हैं।