ठगी: साढ़े 9 लाख का मकान 16 लाख में बेच रही नगर पालिका

Post by: Poonam Soni

एलआईजी बुक (LIG book) कराने वाले हितग्राहियों के साथ हो रही ठगी

इटारसी। नगर पालिका अधिकारियों (Nagarpalika Adhikari) की मनमर्जी के नियम-कायदों ने प्रधानमंत्री आवास योजना (PM Awas Yojana) को मजाक बना दिया है। आज प्रधानमंत्री आवास के एलआईजी घटक के लिए लगे शिविर में आए हितग्राही अपने आपको ठगे महसूस कर रहे थे। बुकिंग के वक्त उनको मकान की कीमती 9 लाख 40 हजार बतायी गयी थी और मंगलवार को जो नोटिस नपा ने भेजा उसमें कीमत लगभग दोगुनी 16 लाख रुपए बताकर करीब छह माह में पूरी राशि जमा करने को कहा गया है। ऐसे में बुकिंग कराने वालों के पैरों तले जमीन ही खिसक गयी। एलआईजी (LIG), यानी निम्न आय वर्ग के लिए। हास्यास्पद बात है, कि निम्न आय वर्ग के लोगों का आकलन नगर पालिका कैसे कर रही है। यानी छह माह में लगभग पंद्रह लाख रुपए जमा करने को कहा जा रहा है। इस वर्ग के लिए यह सदमे जैसा है। उनका आजाद नगर में मकान लेने का सपना ही धूमिल हो रहा है। आज नपा परिसर में लगे शिविर में आए ज्यादातर हितग्राही स्वयं को ठगा महसूस कर रहे थे।

पहले स्पष्ट क्यों नहीं किया
नगर पालिका के अधिकारी जो शिविर में बैठे थे, हितग्राहियों को जवाब दे रहे थे कि जिस वक्त बुकिंग की गई थी, मकान 9 लाख 40 हजार रुपए ही कीमती थी। लेकिन, काम में देरी हो जाने से मकानों की कीमत बढ़ गयी और अब इसकी कीमत 16 लाख रुपए हो गयी। शिविर में बैठे अधिकारी हितग्राहियों को बैंक से लोन लेने की सलाह दे रहे थे। आश्चर्य तो इस बात का है कि बैंक से लोन भी होता है तो क्या निम्न आय वर्ग का व्यक्ति बैंक की भारी-भरकम किश्त कैसे अदा करेगा? जिसने भी कहा कि वह इतना बड़ा लोन नहीं ले सकता, उसे सुझाव दिया गया कि एक आवेदन देकर जमा किये हुए दस हजार रुपए वापस ले लो। इस जवाब से हितग्राहियों का सपना टूटता नजर आया। आखिर सरकार की मंशा क्या है? गरीबों को मकान देना भी चाहती है, या फिर उच्च आय वर्ग के लिए ही योजना बनायी है और उनको ही मकान मिलेंगे?

अब तक की स्थिति पर एक नजर
वर्तमान में केवल आजाद नगर में ही एलआईजी घटक के लिए भूमि मिली है और यहां 54 मकान बनाये जा रहे हैं। एलआईजी के लिए करीब 11 सौ लोगों ने आवेदन किये हैं। इसमें कुछ वे भी हैं, जिनके पास पूर्व से ही आवास हैं या जिन्होंने बीएलसी घटक में लाभ ले लिया है। इन लोगों का सर्वे में नाम खारिज हो जाएगा। शेष जो लोग बचेंगे, उनको ही आवास देने की प्रक्रिया प्रारंभ की जाएगी। लेकिन, इसमें भी आज जितने लोग आए, सभी ने 9:40 लाख से 16 लाख कीमत होने पर आपत्ति दर्ज करायी है।

ऐसे जमा करना होगा राशि
अभी विक्रय मूल्य की दस फीसदी पंजीयन राशि यानी 1 लाख 60 हजार रुपए 17 फरवरी तक जमा करना होगा। आवंटन पत्र जारी होने के एक माह के भीतर इकाई के मूल्य का 15 प्रतिशत यानी 2 लाख 20 हजार रुपए, तीन माह के भीतर 20 फीसद 3 लाख 20 हजार रुपए, चार माह के भीतर 25 फीसद 4 लाख रुपए, पांच माह के भीतर 2 लाख 40 हजार रुपए जमा करने होंगे। आधिपत्य के पूर्व 10 फीसद यानी 1 लाख 60 हजार देने होंगे।

बिल्डर की तरह पैसों की मांग
शहर में आवासीय कालोनी बनाने वाले बिल्डर भी इसी तरह से योजना बनाकर पैसे जमा कराते हैं। उनकी योजना में भी ऐसा ही होता है कि तीन माह में, छह माह में, एक वर्ष में और आधिपत्य के पूर्व जो राशि जमा करनी होती है, वह बतायी जाती है। ठीक वैसे ही नगर पालिका की मांग हो रही है। ऐसे में आखिर निम्न आय वर्ग का व्यक्ति इतनी बड़ी रकम कैसे और कहां से लायेगा। इतने पैसे उसके पास होंगे तो स्वयं ही मकान बना लेगा।

इनका कहना है…
मकानों की संख्या 54 है, करीब 11 सौ आवेदन आये थे। लेकिन, ज्यादातर ने तो बीएलसी घटक में लाभ ले लिया है। शिविर के विषय में सारी जानकारी कल दे सकेंगे, क्योंकि शिविर दो दिन का है।
मीनाक्षी चौधरी, (Meenakshi Chaudhary, Assistant Engineer)

जब हमसे दस हजार रुपए जमा कराये थे, तब बताया गया था कि आपको केवल साढ़े लाख रुपए जमा करने हैं, वे भी बैंक से लोन मिल जाएगा। कल जो पत्र मिला, उसमें मकान की कीमत 16 लाख रुपए बता दी है। हम इतनी बड़ी राशि कहां से लाएंगे? हम इसकी शिकायत कलेक्टर, मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री तक करेंगे।
पं. बालमुकुंद,(Pt. Balmukund, resident of Malaviyaganj)

योजना में प्रारंभ से ही अधिकारियों की घोर लापरवाही रही है। प्रारंभ में मकान की कीमत 9:40 लाख रुपए थी, जिसमें दस फीसद रकम जमा करनी थी और शेष बैंक लोन होना था। अब कीमत 16 लाख रुपए हो गयी। नपा की लेतलाली का खामियाजा हितग्राही को भोगना होगा।
यज्ञदत्त गौर (Yajnadatta Gaur, former councilor)

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