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राम-जानकी के साथ फेरे लेंगे नवयुगल, रामविवाह की तैयारियां जारी

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  • श्री पंचमी पर ओरछा, अयोध्या, इटारसी में 39 सालों से हो रहा धार्मिक आयोजन

इटारसी। सामाजिक समरसता को बढ़ावा देकर दहेज प्रथा जैसी कुरीतियों को मिटाने श्री देवल मंदिर काली समिति पुरानी इटारसी पिछले 39 सालों से लगातार श्री राम विवाह एवं निश्शुल्क सामूहिक विवाह का आयोजन कर रही है, इस आयोजन में अब तक 2500 से ज्यादा युगल फेरे ले चुके हैं।

श्री देवल मंदिर काली समिति 40 वें वर्ष में 6 दिसंबर को श्रीराम विवाह और नि:शुल्क सामूहिक विवाह का आयोजन करेगी। इसे लेकर वर-वधुओं के पंजीयन किए जा रहे हैं। साल 1984 में पहली बार राम विवाह एक जोड़े के साथ शुरू हुआ, खास बात यह है कि इतने बड़े आयोजन के लिए यहां कोई कमेटी या पदाधिकारी नहीं हैं, बल्कि राम काज के लिए सारे सेवक बनकर काम करते हैं। राम बोलो इस मंदिर का जयघोष और पहचान है, जहां राम नाम के साथ सारे काम होते हैं। सेवादार जयप्रकाश करिया पटेल ने बताया कि देवल मंदिर के महंत ब्रह्मलीन दामोदर दास और सहारनपुर के महंत ब्रह्मलीन सुंदरदास जी रामायणी की प्रेरणा से साल 1984 में पहली बार राम विवाह एक जोड़े से शुरू हुआ, पहली बारात रामजानकी छोटा मंदिर से निकाली गई थी। दो साल सिर्फ राम विवाह हुए, इसके बाद साधु-संतों की पहल पर एक जोड़े से सामूहिक विवाह की शुरुआत हुई।

इस आयोजन में चित्रकूट, अयोध्या, वृंदावन, ऋषिकेश, ओरछा, सहारनपुर समेत पूरे देश से साधु-संतों, विद्वानों का समागम होता है। श्री द्वारिकाधीश बड़ा मंदिर से दूल्हे राजा भगवान राम के साथ भव्य बरात जनकपुरी देवल मंदिर पहुंचती है। यहां हिंदू रीति से राम-जानकी के साथ सभी जोड़ों का विवाह कराया जाता है। समिति के सहयोग से सभी जोड़ों को गृहस्थी का सामान, उपहार, कपड़े एवं अन्य सामग्री भेंट की जाती है। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम का विवाह श्री पंचमी पर हुआ था, इसे विवाह पंचमी भी कहते हैं। इस वर्ष श्रीराम विवाह महोत्सव एवं नि:शुल्क सामूहिक विवाह उत्सव 6 दिसंबर को होने जा रहा है।

आयोजन की तैयारियां चल रहीं हैं। पुरानी इटारसी को जनकपुरी के रूप में दुल्हन की तरह सजाया जा रहा है। 6 दिसंबर को गोधूलि बेला में श्री द्वारिकाधीश मंदिर से श्री राम जी की बारात पुरानी इटारसी के देवल मंदिर जनकपुरी के लिए प्रस्थान करेगी। भगवान राम की करीब 3 किमी लंबी बारात में हाथी, घोड़े, बग्गी, दुलदुल घोड़ी, अखाड़े, रामसखियां, बैंड पार्टियां आकर्षण का केंद्र रहती हैं। एक बग्गी में राम दरबार सजाया जाता है, साथ में सभी दूल्हे राजा बारात लेकर जनकपुरी देवल मंदिर बारात लेकर पहुंचते हैं। यहां राजा राम और बारात की अगवानी होती है। मंडप में नवयुगल भगवान राम एवं सीता के साथ एक ही मंडप में फेरे लेते हैं। इस अनूठे आयोजन में देश भर के अखाड़ों से जुड़े साधु-संत एवं विद्वान शामिल होते हैं। पूरे आयोजन की बागडोर करिया पटेल एवं युवाओं की टीम संभालती है। हर गांव-शहर के लोग इस आयोजन में सहभागी बनते हैं। गांव-गांव से भंडारे के लिए अनाज एवं दानराशि एकत्र की जाती है। समिति पूरी गृहस्थी का सामान, उपहार एवं जेवरात सभी जोड़ों को भेंट करती हैं।

गौशाला का संचालन

मंदिर समिति परिसर में सैकड़ों लाचार-बीमार गौवंशी मवेशियों का भरण पोषण करती है, बिना सरकारी अनुदान यहां गायों को रखकर उनकी सेवा की जाती है, कमेटी में कोई नेता पदाधिकारी नहीं होता, सारे लोग राम सेवा मानकर यहां पुण्य कमाने आते हैं। यह समिति सनातन धर्म की रक्षा के लिए पूरे प्रदेश में पहचान बना चुकी है। पुराने मंदिर की जगह अयोध्या की तर्ज पर यहां भव्य सुसज्जित मंदिर बनाया गया है।

यह रहेंगे कार्यक्रम

  • 1 दिसंबर रविवार रात आठ बजे रामलीला मंचन।
  • 2 दिसंबर सोमवार रात 9 बजे भजन श्रृंखला
  • 3 दिसंबर मंगलवार रात 8 बजे सुंदरकांड।
  • 4 दिसंबर बुधवार सुबह 9 बजे महिला मंडल द्वारा रामसत्ता
  • 5 दिसंबर गुरूवार सुबह 10 बजे मंडपाच्छादन एवं सत्यनारायण कथा सीताराम कीर्तन
  • 6 दिसंबर शुक्रवार सुबह 9 बजे कन्या भोज एवं भंडारा, शाम 7 बजे आध्यात्मिक प्रवचन, रात 9 बजे देवी जागरण, रात 10 बजे बारात आगमन एवं स्वागत। रात 11 बजे जयमाला एवं प्रीतिभोज, रात 12 बजे पाणिग्रहण संस्कार।
  • 7 दिसंबर शनिवार सुबह 7 बजे विदाई समारोह।

Rohit Nage

Rohit Nage has 30 years' experience in the field of journalism. He has vast experience of writing articles, news story, sports news, political news.

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